Sunday, January 3, 2021

589 ..कितनी हसीन है ये मियाँ लखनऊ की शाम

सादर नमस्कार

एक वर्षा है
बदलियां ढेरों
प्यार है एक
वायदे हैं कई
वर्षा बहन की उपरोक्त पंक्तियाँ

अण्डे और वादे
तोड़ने के लिए ही  होते हैं
-नवजोत सिद्धू

और एक योग
......
अपने भविष्य को
पूरी शक्ति से अपने भीतर खींचे... 

अपने वर्तमान को
अपनी क्षमतानुसार रोक कर रखें... 

अपने भूतकाल को
पूरी ताकत से बाहर निकाल दें... 

यही है सर्वश्रेष्ठ जीवन योग...
....
अब रचनाए



एक सर्पिल रेखा की तरह, अतीत
की नदी, छोड़ गई है विस्तृत
बंजर अहसास, जिसके
दोनों किनारे हैं
खड़े रेत के
पहाड़,


फ़ासले हैं कई .....डॉ. वर्षा सिंह

रास्ता एक कोई होगा कहीं
अपने-अपने तो दायरे हैं कई

एक "वर्षा" है, बदलियां ढेरों
प्यार है एक, वायदे हैं कई


लखनऊ की शाम ...जयकृष्ण राय तुषार




तहजीब और अदब के हैं किस्से जहाँ तमाम
कितनी हसीन है ये मियाँ लखनऊ की शाम

इसके सियासी रंग के चर्चे हैं दूर तक
इसमें अटल के गीत मोहब्बत के हैं पैगाम

साल नूतन ..शशि पुरवार



हर पनीली आँख के सब
स्वप्न पूरे हों हमेशा
काल किसको मात देगा
जिंदगी का ठेठ पेशा

वक़्त को ऐसे जगाना
गीत बन जाये ज़माने ​​
साल नूतन आ गया है
नव उमंगों को सजाने


मन का सूरज ...विभा ठाकुर


मन का सूरज कभी बूझने न देना
गम लाख परेशान  करे तो क्या
अँधेरे से अपने घर की चाँदनी
को कभी ढकने न देना


दर्द सिमट आया आँखों में ..डॉ. अंशु सिंह



स्नेह भरा वह  कोमल बन्धन
छू न सका हलके से उर में
कब तक ये दुर्भाग्य साथ है
कह दूँ किसे कौन से सुर में

कर सर्वस्व समर्पण पग पर
सो जाऊँ उस तरु छाया में
नहीं चाहती कभी जागरण
असह्य विरह की इस माया में
....
आज बस
सादर

 

4 comments:

  1. आकर्षक संकलन व सुन्दर प्रस्तुति के साथ मुखरित मौन ख़ुश्बू बिखेरता सा, मुझे जगह प्रदान करने हेतु ह्रदय तल से आभार आदरणीय दिग्विजय जी - - नमन सह।

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  2. हमेशा की तरह बेहतरीन संयोजन किया है आपने ब्लॉग लिंक्स का....

    मेरी पोस्ट को इसमें शामिल करने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय दिग्विजय अग्रवाल जी 🙏🏻
    नववर्ष की असीम शुभकामनाओं सहित,
    सादर,
    डॉ. वर्षा सिंह

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  3. एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन ।
    सादर।

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