सादर अभिवादन
आज दो प्रस्तुति एक साथ
कोशिश की हूँ
कि कोई भी प्रस्तुति की
पुनरावृति न हो
शायद सफल भी हुई....
पढ़िए आज प्रकाशित रचनाएँ.....
झरती है चाँदनी
ठूँठ रात के घुप्प शाखों पर,
बेदर्दी से पत्तों को सोते से झकझोरती
बदतमीज़ हवाओं की
सनसनाहट से
दिल अनायास ही
बड़ी ज़ोर से धुकधुकाया
आँखों से गिरकर
तकिये पर टूटा एक ख़्वाब
ठूँठ रात के घुप्प शाखों पर,
बेदर्दी से पत्तों को सोते से झकझोरती
बदतमीज़ हवाओं की
सनसनाहट से
दिल अनायास ही
बड़ी ज़ोर से धुकधुकाया
आँखों से गिरकर
तकिये पर टूटा एक ख़्वाब
मन उदास
हुए नम नयन
यह देखते
नयन वर्षा
मन को नहीं चैन
यह हाल है
तुम चार दिन
के इश्क़ में ही
बेवफ़ा हो गए।
लोकगीतों का गुलदस्ता
मधुर धुन की बाड़ मढूँ ।
आँगन में छिड़कूँ प्रीत पुष्प
सोनलिया पद छाप गढ़ूँ
फिर पवन पैरों से झूमूँ।
सब कुछ
छिन जाने के बाद भी
कुछ बचा रहता है ।
सब समाप्त
होने के बाद भी
शेष रहता है जीवन,
कहीं न कहीं ।
आँखों के तटबंध तक सिमटे होते हैं
सभी अपने या पराए रिश्ते,
अपनापन तो है बहता हुआ जलधार,
रात गुज़रते ही पलकों के नीचे तक उतर आएगा,
वो कोई उड़ता सा आवेग था,
भोर के धुंधलके में -न जाने किधर जाएगा।
....
बस
सादर
बस
सादर
Thanks for the post here
ReplyDeleteसुन्दर रंगों से सजा हुआ मुखरित मौन मुग्धता बिखेरता हुआ, मुझे जगह देने हेतु असंख्य आभार आदरणीया यशोदा जी - - नमन सह।
ReplyDeleteसुन्दर संकलन
ReplyDeleteबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteनमस्ते सखी. सबसे पहले क्षमा याचना. धन्यवाद की अभिव्यक्ति में बहुत विलंब हो गया. घर में अस्वस्थता के कारण .....करना नहीं था, हो गया.
ReplyDeleteबांसुरी वाले ठाकुर की बांसुरी आपके आँगन में सदा सुनाई दे.
और क्यों नहीं ! आपका नाम ही उनकी मैया का नाम है !
आज की भावुक रचनाओं का संकलन भीनी-भीनी सुगंध मन में उतर गई.
सभी को बधाई और शुभकामनाएं.
जय श्री राधे
Deleteसादर..