सादर अभिवादन
आज ज्वर है
बहना दिव्या को
परसो पहला छठ था उसका
ठीक हो जाएगी..
मैय्या है न..
रचनाएँ कुछ यूँ है...
रचनाएँ कुछ यूँ है...
तितली सी तू सोन परी है
मेरे घर की राजकुमारी।
फूलों जैसी कोमल कलिका
बाबा की ओ राज दुलारी।
हर करवट पर घुंघरु बजते
पायल झनकार सुनाएगी।।
एक के बाद एक क्रमशः गुज़रते रहे,
दिन, जंग लगे सीने में चुभते
नहीं आलपिन, नदी का
वक्षस्थल, जितना
था अंतःनील,
उतना ही
क़रीब
यदि तुम मुझ से मित्रता करना,
तो केवल मित्रता के लिए करना।
मुझे मेरी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ अपनाना,
हाँ, बाद में तुम मेरी बुराइयाँ सुधार देना।
इसे पढ़िए अवश्य
धन्य है वर्षा
खेतों में कविताएँ
बोए किसान
(डॉ. भगवत शरण अग्रवाल) ;
रात है काली
चलो जलाएँ दीये
लिखें दिवाली
(डॉ. सतीशराज पुष्करणा)
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बिटिया रानी को जन्मदिवस पर बधाइयाँ
सादर
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बिटिया रानी को जन्मदिवस पर बधाइयाँ
सादर
बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया यशोदा दी।बिटिया के लिए आपकी मंगलकारी शुभकामनाएँ मिली अत्यंत हर्ष हुआ।
ReplyDeleteदिल से आभार दी ।
स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर प्रणाम
सब से पहले तो हृदय से अत्यंत अत्यंत आभार आपका कि आपने मुझे इतना बड़ा अवसर दिया। आज पहली बार सांध्य दैनिक मुखरित मौन से जुड़ कर जो प्रसन्नता हो रही है, वो मैं शब्दों में बता भी नहीं सकती। आप सभी बड़ों का आशीष और प्रोत्साहन पा कर मैं सदा कृतज्ञता से भर जाती हूँ। आज की प्रस्तुति भीत ही सुंदर और अनंदकर है। अब से यहाँ भी आकर कुछ न कुछ पढ़ना होता रहेगा।
ReplyDeleteआप सबों को पुनः प्रणाम और हृदय से आभार।
मधुर रचनाओं से सज्जित मुखरित मौन हमेशा की तरह मंत्र मुग्ध करता है। मुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह। छठ पर्व की सभी को शुभ कामनाएं।
ReplyDeleteवाहः
ReplyDeleteउम्दा संकलन