सादर अभिवादन
आज तेरस के ऊपर चौदस है
बकौल दिव्या
अब रचनाएँ....
अब रचनाएँ....
कुछ भूली-बिसरी स्मृतियाँ
तुषार बूँदों में भीगे
मिलने आ जाते हैं
कुछ अविस्मरणीय दृश्य
हाथों पर धरे
अपने अनमोल उपहार
सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे लिए।
श्री
सौम्यी
अत्ययी
दीपोत्सव
उलूकोदय
श्रीहीनासंचयी
ग्रस्तोदयाक्षक्रीड़ा
यह कैसा भ्रम है
कि वह दिखता भी है
और नहीं भी,
वह वाचाल भी है
और चुप भी,
वह है भी
और नहीं भी.
दीपक से अनिष्ट टले ,
कर लो दीप विधान
प्राणों को चैतन्य करो,
दीपक का आव्हान
सच तो यह है कि
कुम्हार का बनाया
मिट्टी का दिया
जीवन भर
लड़ता रहता है
उजाले की अस्मिता बचाने ----
इति शुभम्
पर्व की शुभकामनाएँ
सादर
इति शुभम्
पर्व की शुभकामनाएँ
सादर
बहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन आदरणीया यशोदा दी एवं दिव्या जी। सभी रचनाएँ बेहतरीन।मेरी रचना को स्थान देने हेतु दिल से आभार।
ReplyDeleteसादर
सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना
ReplyDeleteसुंदर संकलन.मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार।
ReplyDeleteसस्नेह शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर संकलन
ReplyDeleteमुझे सम्मलित करने का आभार
बेहतरीन रचनाओं का संकलन
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