Friday, November 20, 2020

545 ..देख रही हो इनके चेहरे पर छायी तृप्ति को

सादर अभिवादन
आज छठ है..
भारत का महापर्व
उत्साह व भय मिश्रित
वातावरण में 
दैव सहाय करें
..
रचना की ओर चलें..

"देख रही हो इनके चेहरे पर छायी तृप्ति को? 
इन सात सालों में आज माया पहली बार 
रसियाव (गुड़ चावल) बनाई... 
बहुत अच्छा लगता है जब वह 
सबके पसन्द का ख्याल रखती है!"


आंवला चाहे किसी भी रुप में 
(जैसे कि कच्चा आंवला, मुरब्बा, चुर्ण या अचार) खाया जाए, 
वो सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी होता है। 
इसके पहले मैं ने आंवले की कई रेसिपीज शेयर की है। 
जैसे कि आंवला चुर्ण, आंवला मुरब्बा, आंवला कैंडी, 
आंवले की खट्टी मिठी लौंजी आदि। 
आज हम बनायेंगे आंवले का अचार। 
बनाने में आसान और खाने में स्वादिष्ट होने के 
साथ-साथ सेहत के लिए गुणकारी। 




सच की मूरत ढाली, अपना दोष यही
गढ़ी न सूरत जाली, अपना दोष यही

न्यायालय से न्याय न वर्षों मिल पाया
जेबें अपनी खाली, अपना दोष यही


कुछ सूखा अकाल को 
अर्पित कुछ 
चाभूलों को 
खोल न पाया कोई 
लोकतंत्र के 
तालों को 
व्यर्थ कल्पना 
अच्छे दिन की 
आस अधूरी है। 





धारा में खड़े होकर
सूर्यदेव को अर्ध्य देकर
वनस्पतियों फलो को अर्पण कर
जीवन को परिपूर्ण करती रही मैं 




बिन ऊधम तो जीवन देखा
रुकी मोरी का पंक है 
मसक उड़ाते पहर आठ जब
लगता तीक्ष्ण सा डंक है 
लद्धड़ बन जो बैठे उनकी
फटकर चादर तार बनी ।।
आज बस
कल फिर
सादर


6 comments:

  1. मेरी पोस्ट को आज के अंक में शामिल करने हेतु
    आपके प्रति अत्यंत आभार प्रिय यशोदा अग्रवाल जी 🙏

    छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
    डॉ. वर्षा सिंह

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  2. मेरी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी

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  3. शानदार अंक ,सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

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  4. सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना

    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

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  5. यशोदा दी ,प्रणाम !
    आपकी चयनित हर रचना एक संदेश दे रही है..।सभी रचनाकारों को बधाई..।
    मेरी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में"प्रकाशित करने के लिए आपका हृदयतल से आभार व्यक्त करती हूँ..।

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  6. बेहद सुंदर प्रस्तुति

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