Monday, June 22, 2020

393..मृत्यु अथिति सी आती है

थ्री नाईन थ्री
अस्त्र-सस्त्र नहीं
आज के अंक का नम्बर है

सरहदों से तुम्हारा आना
पलाश के फूल की तरह 
वहीँ तो खिलते हैं 
उमीदों की तपती दोपहर में 
तुम आओगे तो न 
बहुत दिनों से कह तो रहे हो 
पर आने के तुम्हारे संदेशों में 
इंतज़ार मुझे हराता नहीं है 


नीलू पूरे छः महीने की हो गई थी आज। इसलिए बंटी ने माँ से केक बनवाकर अपनी कक्षा के सभी बच्चों में बाँटकर धूमधाम से उसके छःमासे जन्मदिन की खुशी मनाई ।
बंटी जब नीलू को घर लाया था तो व‍ह मात्र दस- बारह दिन की ही थी।
छोटी - सी, बस एक हाथ में समा जानेवाली।

हवाएं शांत पड़ी सो रहीं हैं बिस्तर पर
और हम झेल रहे हैं घुटन
वो घुटन जिसकी कोई सीमा नहीं
आओ जाकर इन्हें जगाएं तो
इनसे कुछ छेड़छाड़ करे
जिससे ये करवटें बदलें
पहले ऊं ऊं भी करें

बारिश आने से पहले...गुलज़ार

बारिश आने से पहले
बारिश से बचने की तैयारी जारी है
सारी दरारें बन्द कर ली हैं
और लीप के छत, अब छतरी भी मढ़वा ली है


क्षणिकाएँ ...मीना भारद्वाज

झील किनारे...
बसी है बैया कॉलोनी,
सूखी शाखों पर ।
मेरे मन की सोचों जैसी...
थकान भरी और,
स्पन्दनहीन ।


जिन्दगी है कितने दिनों की ...आशा सक्सेना

जिन्दगी के होंगे कितने दिन
कोई भी  बता नहीं पाता
जन्म की तारीख तो याद रह जाती है
पर मृत्यु अथिति सी आती है 
 आहट तक नहीं होती उसके आने की
परिजनों को रुला कर चली जाती है
...
कल फिर
सादर




3 comments:

  1. आभार सहित धन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए |

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  2. बहुत बहुत आभार व बहुत बहुत बधाई यशोदा जी पाँच लिंकों का आनन्द की वर्षगांठ एवं 393 अंक हेतु ।

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  3. बहुत सुंदर संकलन मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में स्थान देने के लिए बहुत शुक्रिया 🙏

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