सादर अभिवादन
पक गए हैं कान
बहने लगा है मवाद
बन गई नदी
मवादों से भरी
इसी नदी में
पूँछ पकड़कर
गाय की
पार कर रहे हैं
वैतरणी...
उपरोक्त बकवास
हम भी कर सकते हैं
सोचते भी नहीं
कि क्या कह गए
सोचना आप पर छोड़ते हैं...
जाले ...ओंकार जी
वह जो पहले अच्छा नहीं लगता था,
अब बहुत अच्छा लगता है,
वह जिसे देखना भी नहीं चाहता था,
अब उसे गले लगाना चाहता हूँ.
यूँ सताया ना करो ....अख़्तर खत्री
अपने एहसासों को यूँ छुपाया ना करो,
चुप रह कर तुम मुझे यूँ सताया ना करो ।
अल्फ़ाज़, ख़ामोशी से अच्छे ही होते हैं,
सिर्फ़ इशारों से इश्क़ को जताया ना करो ।
कुछ बेचैन सा हो जाता है, ये मेरा मन,
रूठ कर के मेरी जान जलाया ना करो ।
नन्हीं नौकाओं का काफिला ...डॉ. सुधा गुप्ता
तिनका
न जाने
कौन-सी कुघड़ी
मेरी
आँख में तिनका पड़ा
कि
ज़िन्दगी भर
पानी बहना नहीं रुका।
तकलीफ़ , पल दो पल साथ रहे:
बहुत तड़पाती है।
ज़िन्दगी भर का साथ हो:
आदत बन जाती है
टेस्टी मुखवास ...ज्योति देहलीवाल
मुखवास खाना खाने के बाद मुंह को फ्रेश करने का काम ही नहीं करता तो खाने को पचाने का भी काम करता हैं। ये मुखवास मुलेठी, सौंफ़ और धनिया दाल से बना होने से बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक रहता हैं। मुलेठी एक बहुत ही गुणकारी औषधी हैं। मुलेठी से गले से जुड़े किसी भी प्रकार के संक्रमण दूर होते हैं, शरीर की कमजोरी दूर होकर शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते है। सौंफ से याददास्त ठीक होकर आंखों की रोशनी बढ़ती है तो धनिया दाल कब्जनाशक और रोशनीवर्धक होती हैं।
उलूक की पुरानी लिबास
अपना उल्लू
अपनी सीध
बेवकूफ
‘उलूक’
थोड़ा सा
कुछ
अब
तो सीख
अपनी गाय
अपना गोबर
अपने कंडे
अपनी दीवार
अपनी आग
अपनी राख
अपने अपने
राग बे राग
अपने कंडे
खुद ही थाप
.....
सच में
पक गए हैं
हम और हमारा
कान
आज बस
कल फिर
सादर
पक गए हैं कान
बहने लगा है मवाद
बन गई नदी
मवादों से भरी
इसी नदी में
पूँछ पकड़कर
गाय की
पार कर रहे हैं
वैतरणी...
उपरोक्त बकवास
हम भी कर सकते हैं
सोचते भी नहीं
कि क्या कह गए
सोचना आप पर छोड़ते हैं...
जाले ...ओंकार जी
वह जो पहले अच्छा नहीं लगता था,
अब बहुत अच्छा लगता है,
वह जिसे देखना भी नहीं चाहता था,
अब उसे गले लगाना चाहता हूँ.
यूँ सताया ना करो ....अख़्तर खत्री
अपने एहसासों को यूँ छुपाया ना करो,
चुप रह कर तुम मुझे यूँ सताया ना करो ।
अल्फ़ाज़, ख़ामोशी से अच्छे ही होते हैं,
सिर्फ़ इशारों से इश्क़ को जताया ना करो ।
कुछ बेचैन सा हो जाता है, ये मेरा मन,
रूठ कर के मेरी जान जलाया ना करो ।
नन्हीं नौकाओं का काफिला ...डॉ. सुधा गुप्ता
तिनका
न जाने
कौन-सी कुघड़ी
मेरी
आँख में तिनका पड़ा
कि
ज़िन्दगी भर
पानी बहना नहीं रुका।
तकलीफ़ , पल दो पल साथ रहे:
बहुत तड़पाती है।
ज़िन्दगी भर का साथ हो:
आदत बन जाती है
टेस्टी मुखवास ...ज्योति देहलीवाल
मुखवास खाना खाने के बाद मुंह को फ्रेश करने का काम ही नहीं करता तो खाने को पचाने का भी काम करता हैं। ये मुखवास मुलेठी, सौंफ़ और धनिया दाल से बना होने से बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक रहता हैं। मुलेठी एक बहुत ही गुणकारी औषधी हैं। मुलेठी से गले से जुड़े किसी भी प्रकार के संक्रमण दूर होते हैं, शरीर की कमजोरी दूर होकर शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते है। सौंफ से याददास्त ठीक होकर आंखों की रोशनी बढ़ती है तो धनिया दाल कब्जनाशक और रोशनीवर्धक होती हैं।
उलूक की पुरानी लिबास
अपना उल्लू
अपनी सीध
बेवकूफ
‘उलूक’
थोड़ा सा
कुछ
अब
तो सीख
अपनी गाय
अपना गोबर
अपने कंडे
अपनी दीवार
अपनी आग
अपनी राख
अपने अपने
राग बे राग
अपने कंडे
खुद ही थाप
.....
सच में
पक गए हैं
हम और हमारा
कान
आज बस
कल फिर
सादर
पूरा पक जाएगा तो
ReplyDeleteस्वतः टपक जाएगा..
घर पर रहेंगे तो
पकते भले रहें
टपकेंगे नहीं..
आभार..
हा हा उलूक की बकवास पढ़ेंगी पढवायेंगी तो यही सब निकलेगा :)
ReplyDeleteआभार।
मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।
ReplyDeleteमुखरित मौन की गूँजती आवाज
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति.मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार
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