सादर अभिवादन
आज शनि छुट्टी का दिन
काम कुछ भी नहीं
आराम को समय नहीं
...
चलिए रचनाओं की ओर..
काम कुछ भी नहीं
आराम को समय नहीं
...
चलिए रचनाओं की ओर..
आँखों में
सपना स्वदेश का
हाथों में हथियार रहे |
जितना
अपनी माँ से उतना
मातृभूमि से प्यार रहे |
सबसे ऊँची
मूर्ति उसी की
जो सैनिक ,बलिदानी हो ,
उसके खातिर
प्रथम पुष्प हो
सब नदियों का पानी हो ,
तभी भगवान श्रीराम ने मयूर से कहा कि
मेरे लिए तुमने जो मयूर पंख बिखेरकर,
मुझ पर जो ऋणानुबंध चढ़ाया है,
मैं उस ऋण को अगले जन्म में
जरूर चुकाऊंगा ....
मेरे सिर पर धारण करके
जब कभी अकेले होता हूँ तन्हा
तन्हाई का सबसे बड़ा साथी है आईना !!
कहते है आईना दिखाता है जाल भ्रम का
पर बार -बार टूट कर भी धड़कता है आईना !!
पीड़ा मन की बांटती, मैं रजनी के संग ।
माँ जाई तू बहन सी, छाया जैसा संग ।।
यामा,निशा,विभावरी , कितने तेरे नाम ।
तेरी राह निहारती ,जब चाहूँ आराम ।
जायका बदलिए ...
है एक बला नज़र भी
कभी मिल जाती है नज़र
और कभी लग भी जाती है
नज़र ....कोई बात कर लेता है
मिलाकर नज़र
तो कोई निकल जाता है
चुराकर नज़र...
बाइफोकल* सोच ...
एक दोहरी सोच की कहानी
"कशीदाकारी वालों को तो बस होड़ है,
कशीदाकारी करने की।
अब कफ़न हो या कि कुर्ता कोई,
बस जरूरत है एक कपड़े की।"
...
पड़े-पड़े पत्ता सड़ जाता है
गोद में 'गर बच्चा हरदम रहे
तो कूबड़ निकल जाता है
सादर..
जायका बदलिए ...
है एक बला नज़र भी
कभी मिल जाती है नज़र
और कभी लग भी जाती है
नज़र ....कोई बात कर लेता है
मिलाकर नज़र
तो कोई निकल जाता है
चुराकर नज़र...
बाइफोकल* सोच ...
एक दोहरी सोच की कहानी
"कशीदाकारी वालों को तो बस होड़ है,
कशीदाकारी करने की।
अब कफ़न हो या कि कुर्ता कोई,
बस जरूरत है एक कपड़े की।"
...
पड़े-पड़े पत्ता सड़ जाता है
गोद में 'गर बच्चा हरदम रहे
तो कूबड़ निकल जाता है
सादर..
बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteबाइफोकल सोच को मुखरित मौन में पाकर बड़ी निराशा हुई।
ReplyDeleteब्लॉग पर प्रेम और विरह के गीत लिखने वाली सभी महिला ब्लॉगर्स के चरित्र पर इस लेख में उँगली उठाई गई है। जब पुरुष ऐसी रचनाएँ लिखते हैं तो उनके पारिवारिक जीवन और उनके चरित्र को कोई शक की नजर से नहीं देखता। किसी भी विधा में लिखना एक कला और हुनर है, जिसका अपमान करना माँ सरस्वती का अपमान है।
आशुकवियित्री होना भी कोई जुर्म नहीं है।
शीर्ष चर्चाकारों से उम्मीद थी कि वे इस तरह के लेखों पर अपना कड़ा विरोध जताएँगे। परंतु ऐसा नहीं हुआ।
आपका हार्दिक आभार |सभी लिंक्स अच्छे |
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति
ReplyDelete