सादर नमस्कार
आज पितृदिवस की शुभकामनाएँ
आज विश्व योग दिवस भी है
आज सू्र्यग्रहण भी है
परमपिता किसी का अमंगल नहीं करते
विश्वास है हमें..
आज पितृदिवस की शुभकामनाएँ
आज विश्व योग दिवस भी है
आज सू्र्यग्रहण भी है
परमपिता किसी का अमंगल नहीं करते
विश्वास है हमें..
चलें रचनाओं की ओर
"सान्ता ! ओ सान्ता! तूने फिर चक्की खोल दी,
अरे!इस महामारी में भी तू अपनी आदत से बाज नहीं आ रही ।
कितने सारे लोग गेहूं पिसवाने आ रहे हैं,
अगर किसी को बिमारी होगी तो तू तो मरेगी ही
अपने साथ मुझे और मेरे बच्चों को भी मारेगी"....
"चुप करो जी ! ऐसा कुछ नहीं होगा
और देखो मैंने अच्छे से मुँह ढ़का है
फिर भी नसीब में अभी मौत होगी तो वैसे भी आ जायेगी....
चक्की बन्द कर देंगे तो खायेंगे क्या?
कोरोना से नहीं तो भूख से मर जायेंगे ....
तुम जाओ जी! बैठो घर के अन्दर! मुझे मेरा काम करने दो"!...
तुम्हें वो याद करता है
हाँ! फरियाद करता है।
वो इश्क़ में तेरे
उस दिन का इंतज़ार करता है
जिस दिन दिल से वो कहे
कि वो सिर्फ तुमसे ही प्यार करता है।
अगर
आपके गीत से
किसी का जीवन
गुलज़ार हो तो
गुनगुनाओ.......
इज्जत है इबादत है
सच मानो यारो
वो फक्त मुहब्बत है
कब प्रेम जताने को
झलका इस तरहा
तू प्रीत पै'माने को
मुझको न सताओ तुम
चाहत है, छल है
ये भेद बताओ तुम
बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteBahut khoobsurat prastuti
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक संकलन
ReplyDeleteअपनी रचना की पंक्ति को शीर्षक तथा रचना को मंच पर स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
बहुत सुंदर, एक से बढ़कर एक रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर संकलन मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में स्थान देने के लिए बहुत शुक्रिया 🙏
ReplyDeleteतुम्हें वो याद करता है
ReplyDeleteहाँ! फरियाद करता है।
वो इश्क़ में तेरे
उस दिन का इंतज़ार करता है
जिस दिन दिल से वो कहे
कि वो सिर्फ तुमसे ही प्यार करता है।
कुछ ऐसे प्रोफेशन जो आपके भविष्य को बना सकते हैं बेहतर