Thursday, June 11, 2020

382..हाथ जो पाथेय थे, ठग- ठाकुरों ने रात लूटे

आज तो ठोक ही दी हमने
एक काले घोड़े की नाल
सभी विषाणुओं और जीवाणुओं को
भगाने वाला 100 प्रतिशत कारगर


कहा जाता है कि
हरे घोड़े की नाल इससे ज़ियादा पॉवरफुल होता है


सादर अभिनन्दन..
चलें देखें आज नाल के अलावा भी
बहुत कुछ है...

" जमूरे ! तू आज कौन सी पते की बात है बतलाने वाला ...
  जिसे नहीं जानता ये मदारीवाला "

" हाँ .. उस्ताद !" ... एक हवेली के मुख्य दरवाज़े के
 चौखट पर देख टाँके एक काले घोड़े की नाल
 मुझे भी आया है आज एक नायाब ख्याल "

" जमूरे ! वो क्या भला !?
  बतलाओ ना जरा ! "

" उस्ताद ! क्यों ना हम भी अपनी झोपड़ी के बाहर
 टाँक दें काले घोड़े की एक नाल
 शायद सुधर जाये हमारा भी हाल "


नहीं जी ,यह कोई नया शब्द नहीं है
मनुष्यों में एक विशेष प्रजाति है 'लपका'
कि जहां भी कुछ फायदे की उम्मीद होती है
वह वहीं लपक लेता है
लपककर ,झपटकर या भागकर पहुंच जाता है
अपने शिकार के पास
उसे अपने पंजे में यूं जकड़ता है
कि शिकार निस्सहाय हो जाता है
और अक्सर अपना सब कुछ गंवा बैठता है
लपका को पहचानना आसान नहीं होता
उसके पास सुंदर लुभावनी भाषा होती है

मुग्ध मलयज के झोंकों में मानव 
लेप चंदन का हृदय को भा गया। 
सुख-समृद्धि की पनपती इच्छा  
नीम के बौर-सी मिठास भा गयी। 


गीत गाने दो मुझे तो,
वेदना को रोकने को।

चोट खाकर राह चलते
होश के भी होश छूटे,
हाथ जो पाथेय थे, ठग-
ठाकुरों ने रात लूटे,
कंठ रूकता जा रहा है,
आ रहा है काल देखो।


तब, कोख ने जना,
एक सत्य, एक सोंच, एक भावना,
एक भविष्य, एक जीवन, एक संभावना,
एक कामना, एक कल्पना,
एक चाह, एक सपना,
और, विरान राहों में,
कोई एक अपना!

शब्द जब धार बनाते हैं ...उर्मिला सिंह



राजनीती में जब धर्म-जाति को बाटा जाता है
सिंहासन के आगे जब देश गौड़ हो जाता  है ,
युवा जहाँ ख्वाबों की लाश लिये फिरते हैं ,
उनकी आहों से जब शब्द  ......धार बनातेहै,
तब  कविता - कविता ...... कहलाती  है ।


......
आज इतना काफी है
कल की कल
सादर


5 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति,हमारी रचना को शामिल करने के लिए ह्र्दयतल से आभार।

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  2. इस सुन्दर प्रस्तुति का हिस्सा बनाने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  3. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति. मुझे स्थान देने हेतु सादर आभार.

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  4. सभी रचनाए अपने भावों को बड़े ही समग्रता पूर्वक अपने अन्दर समेटे हुए है । सुंदर ।

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  5. इस मंच पर मेरी रचना/विचार की साझेदारी का पता विलम्ब से चल पाया .. आभार आपका ...

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