Monday, June 8, 2020

379, खुला निमंत्रण प्रवासी बीमारी को .....कि आइए स्वागत है आपका

आज 8 जून
खुला निमंत्रण
प्रवासी बीमारी को .....कि
आइए स्वागत है आपका
जन साधारण तो परेशान है ही
और रहेगा सदा.....
पर उसकी परेशानी से 

सरकार को क्यों दुख होने लगा
शायद सरकार विश्व के सर्वोच्च शिखर
पर काबिज होना चाहती है
बीमारी और मौतों के आँकड़े में...
और जनता भी पागल है
टूट पड़ी और दुकानों की भीड़ में
शामिल हो गई..

.....
चलिए चलें खोलें पिटारा...


बदहवास युग ....ओंकार जी
Scrabble, Words, Wood, Wooden, Lockdown
धडकनें बढ़ रही हैं,
मन परेशान है,
क्या शुरू होने वाला है 
पहले सा पागलपन,
भागना बेमतलब 
इधर से उधर?


विचलन मन का ..आशा सक्सेना

आशा  के  पालने  में झूला
ऊंची से ऊंची पैंग बढ़ाई   
मन को फिर भी चैन न आया
तेरा मन क्यूँ घबराया?
निराशा ने डेरा डाला
तेरे मन के आँगन में
शायद इसी लिए उससे
तेरा मन  भाग न पाया

क़त्ल का कैसा है ...डॉ.नवीन मणि त्रिपाठी

कास वो साथ किसी का तो निभाया होता ।
क्या भरोसा करें जो शख्स किसी का भी नहीं ।।

क़त्ल का कैसा है अंदाज़ ये क़ातिल जाने ।
कोई दहशत भी नहीं है कोई चर्चा भी नहीं ।।

मैकदे में हैं तेरे रिंद तो ऐसे साकी ।
जाम पीते भी नही और कोई तौबा भी नहीं ।।


कविता .... निभा चौधरी

बुद्ध मेरी रसोई में
चपाती बेलेगा
जहाँ मैं रावण के साथ
पुष्पक विमान में
डेट पर जाऊंगी


कुछ प्रश्न ...अनीता सैनी

वहीं से कुछ प्रश्न ज़ेहन में खटक गए। 
अंतरद्वंद्व  के चलते आख़िर बैठे-बैठे मैं  पूछ ही बैठा-
"तुम्हारी पत्नी के हाथ में चूड़ियाँ नहीं थीं। 
मैंने हृदय की व्याकुलता अपने साथी सैनिक के सामने परोसी।
उसने कहा -
"हालात ने छीन लीं।"
....
बस..
शायद कल फिर
सादर




7 comments:

  1. बढ़िया संकलन. मेरी कविता को स्थान देने के लिए शुक्रिया.

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  2. बहुत सुंदर संकलन।

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  3. बहुत प्रस्तुति. मेरी लघुकथा को स्थान देने हेतु सादर आभार.

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  4. बहुत सुंदर संकलन।

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  5. बहुत सुन्दर संकलन।सभी रचनाएँ लाजवाब।

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  6. उम्दा संकलन आज का |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  7. बहुत सुंदर संकलन 👌

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