सप्रेम अभिवादन
भारत रत्न प्राप्त
महान वैज्ञानिक प्रोफेसर सी.वी. रमन (चंद्रशेखर वेंकटरमन) ने
सन् 1928 में कोलकाता में 28 फरवरी के दिन एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की थी, जो ‘रमन प्रभाव’ के रूप में प्रसिद्ध है। इसी खोज की याद में भारत में सन् 1986 से प्रतिवर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (नेशनल साइंस डे) मनाया जाता है।
अब चलिए रचनाओं की ओर ...
अब चलिए रचनाओं की ओर ...
उसके पति की कही बातों पर नीरा के पिता कोई जबाब देते ;
उसके पहले उसकी भाभी चिल्ला पड़ी : शादी के इतने सालों के
बाद धमकी देने से हम डरने वाले नहीं हैं । आपको नीरा को
ले भी जाना होगा और हम जमीन देने वाले भी नहीं ,
आप ही एक दामाद नहीं घर में |
हरे पीले रंग सजाए थाली में
श्याम न आए आज अभी तक
रहा इन्तजार उनका दिन और रात
निगाहें टिकी रहीं दरवाजे पर |
हुई उदास छोड़ी आस उनके आने की
पर आशा रही शेष मन के किसी कोने में
नमी बंधुत्त्व की हो मन में,
हृदय स्वप्न गूँथी माला है,
चीर तिमिर की छाती को अब,
सूरज उगने वाला है।
कुछ दूर चला मैं
रास्ता अनजाना था
लोग भी नए
मौसम भी कुछ नया सा
नए दरख़्त नई छांव
नई इमारतें नए गांव
रास्ता था मुझे चलना था
रास्ते पर आगे बढ़ना था
नहीं जानती मैं ही सब कुछ
भूल चुकी हूँ या
खाद्य सामग्री मिलावटी है
या फिर पहले बड़े सराह-सराह कर
खाने वालों के मुँह का
ज़ायका बदल गया है !
पकवानों की थाली की तरह ही
ज़िंदगी भी अब उतनी ही
बेस्वाद और फीकी हो गयी है जैसे !
बिलकुल अरुचिकर, नीरस, निरानंद !
....
अब बस
कल फिर
सादर
....
अब बस
कल फिर
सादर
बेहद खूबसूरत अंक। सादर नमन।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया दीदी. मुझे स्थान देने के लिये सहृदय आभार
ReplyDeleteसादर
बहुत ही सुंदर कविताएँ.
ReplyDeleteस्वामी विवेकानंद के सुविचार
उम्दा संकलन आज की लिंक्स का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार सहित धन्यवाद |
ReplyDeleteसस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना
ReplyDeleteसराहनीय प्रस्तुतीकरण