हैप्पी चॉकलेट डे
वैलेंटाइन वीक का तीसरा और रिश्तों में मिठास घोलने का डे यानी चॉकलेट डे। वैसे तो एक स्वीट डिश के रूप में तो चॉकलेट मशहूर है ही लेकिन जब इजहार-ए मोहब्बत की बात आती है तो..
सादर मुहब्बती अभिवादन
सीधे चलें रचनाओँ की ओर....
पराग ...आशा सक्सेना
पराग कण होते आकर्षक
मकरंद में भीग भीग जाते
रंग महक उनकी ऐसी कि
स्वतः कीट पतंगे होते आकर्षित |
"गंगा" ...मीना भारद्वाज
एक दिन बच्चों की अंगुली थामे गंगा मेरे सामने आ
खड़ी हुई-
"दीदी मैं जा रही हूँ।” कहाँ ? मैंने पूछा ।
“पहाड़ पर दीदी ! वहाँ अपने लोग हैं बच्चों का
ख्याल रखने को । मजदूरी ही करनी है ना .. तो
वहीं कर लूंगी इनको पढ़ाना लिखाना जरूरी है ना….,
मोटा खा-पहन कर काम चला लेंगे ।
धर्म ...गुरुमिन्दर सिंह
धर्म को बेच रहे हैं,
धर्म को मनाने वाले,
इन्सान को बेच रहे हैं,
इन्सानियत के रखवाले,
धर्म अब मुद्रा संचय का माध्यम,
चित, चैन और मोक्ष का द्वार,
ऐ बचपन ....
अपनी उंगली ऐ बचपन पकड़ा दे
मुझे घुट रही साँसे मेरी, फिर से जिला दे मुझे
हारी हूँ जिंदगी की मैं हर ठौर में
लौट जाऊँ मैं फिर से उसी दौर में
ऐसी जादू की झप्पी दिला दे मुझे
अपनी उंगली ऐ बचपन पकड़ा दे
..
आज बस
कल फिर
सादर
बेहद सुन्दर सूत्र संयोजन । मेरे सृजन को संकलन में स्थान देने के लिए सादर आभार यशोदा जी ।
ReplyDeleteधर्म अब मुद्रा संचय का माध्यम...मेरी कविता को संकलन में शामिल करने के लिए यशोदा जी आपका शुक्रिया।
ReplyDeleteदोस्तों का अभिनन्दन जिन्होंने संकलन पर अपने विचार व्यक्त किये हैं।