Monday, February 24, 2020

276...सुनो सखी ! कुछ मदद करोगी ? छत पर थोड़ा नीर रखोगी ?

सादर अभिवादन
ऑपरेशन ब्लॉगिंग का चल रहा है
हमने 1500 ब्लॉग फॉलो किए हैं
उसमें से नब्बे प्रतिशत ब्लॉग बंद हैं..
सत्यानाश हो इस मुए मोबाईल का
लोग लिखते तो हैं..पर फेसबुक
अथवा व्हाट्सएप्प पर चेंप देते हैं

उनकी चेंपी हुई वे चार पंक्तिया 
लिखइता का नाम बदल कर
मिनटों कॉपी होकर सारी दुनिया में
फैला दी जाती है
सभी ब्लॉगर भाई बहनों से निवेदन
अपने लिखने के पश्चात अंत में
यह टैग ज़रूर लगाएँ
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
बहरहाल चलिए कुछ रचनाओँ पर एक नज़र..

सुबह की ताजी हवा थी महकी
कोयल कुहू - कुहू बोल रही थी....
घर के आँगन में छोटी सी सोनल
अलसाई आँखें खोल रही थी....
चीं-चीं कर कुछ नन्ही चिड़ियां
सोनल के निकट आई......
सूखी चोंच उदास थी आँखें
धीरे से वे फुसफुसाई....
सुनो सखी ! कुछ मदद करोगी ?
छत पर थोड़ा नीर रखोगी ?


पीर जलाती आज विरह की,
बनती रीत,
मिले प्रेम में घाव सदा से,
बोलो मीत ।

विरह अग्नि में मीरा करती ,
विष का पान,
तप्त धरा पर घूम करें वो,
कान्हा गान ।


छुपी है क्यूँ रौशनी, रात की आगोश में!

विवश बड़ा, हुआ दिवस का पहर, 
जागते वो निशाचर, वो काँपते चराचर!
भान, प्रमान का अब कहाँ?
दिवा, खो चली यहाँ,
वो दिनकर, दीन क्यूँ है बना?
निशा, रही रुकी,
उस निशीथिनी की गोद में!


ब्लागिंग को जिंदा करने के लिये..
तो सभी ब्लागर बंधुओं से निवेदन है कि ब्लागिंग का यदि जीर्णोदार करना है तो रायता फ़ैलाना ही एक मात्र ईलाज है. जितना रायता फ़ैलाओगे उतनी ही ब्लागिंग जीवित होती जायेगी. ब्लागिंग के स्वर्णिम काल में कितना रायता फ़ैला हुआ रहता था? कसम से हमने तो कभी उस जमाने में घर में रायता या सब्जी नहीं बनाई. उसी रायते से दोनों टाईम की रोटी खा लेते थे….


ब्लॉगिंग की वापसी के शुभ संकेत के पार्श्व में 
पहले भी कई बार, कई अवसरों पर इसकी चर्चा हम कर चुके हैं कि कैसे इंटरनेट से परिचय बना और उसके बाद कैसे बड़े डरते-डरते ब्लॉगिंग आरम्भ की गई. इस मई में पूरे बारह वर्ष हो जायेंगे ब्लॉगिंग करते हुए. हालाँकि ब्लॉग अप्रैल में ही बना लिया गया था मगर कुछ अज्ञात से भय हावी थे, सो किसी तरह की पोस्ट नहीं लिखी गई. बहरहाल, एक बार ब्लॉगिंग आरम्भ हुई तो फिर आज तक रुकी नहीं है. ब्लॉगिंग के उस दौर में ब्लॉग बनाये जाने के बाद उसे लोगों पर पहुँचाना समझ से बाहर था. खोजबीन के दौरान ब्लॉग एग्रीगेटर जैसा कोई शब्द सुनाई दिया और फिर उससे जुड़कर न केवल अपने ब्लॉग की पहुँच अन्य लिखने वालों तक पहुँचाई वरन उनके ब्लॉग तक भी अपनी पहुँच बनाई. ब्लॉगिंग के उस दौर में लोगों की सक्रियता देखते ही बनती थी. कुछ नाम ब्लॉगिंग के उस्ताद माने-समझे जाते थे. उनका किसी ब्लॉग पर, खासतौर से नए ब्लॉगर के ब्लॉग पर, जाना ही अपने आपमें उपलब्धि बन जाया करती थी. 
आज अब बस
सादर
जय हो 
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

3 comments:

  1. बहुत-बहुत सुंदर प्रस्तुति । एक चिन्ता व चिन्तन को समायोजित करती इस प्रस्तुति हेतु बधाई ।

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  2. शानदार मुखरित मौन की उत्कृष्ट रचनाओं संग मेरी रचना को स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आपका..
    मेरी रचना की पंक्तियों का शीर्षक देख अत्यंत खुशी हुई आपका ऐसा प्रोत्साहन हमेशा उत्साह द्विगुणित करता है...तहेदिल से शुक्रिया एवं धन्यवाद यशोदा जी ।
    सादर आभार।

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  3. #हिन्दी_ब्लॉगिंग अवश्य लिखेंगे.....
    +
    कोशिश अब ये भी करेंगे कि पढ़ने के अलावा टिप्पणी भी कर दिया करेंगे.

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