सादर अभिवादन
आज का दिन
02-02-2020
आज का दिन
02-02-2020
2 अंक चार बार आया है
इस माह एक संयोग और होगा
22-02-2020
है ना अद्भुत संयोग
अब चलें रचनाओं की ओर...
इस माह एक संयोग और होगा
22-02-2020
है ना अद्भुत संयोग
अब चलें रचनाओं की ओर...
कई रंग, अंग-अंग, उभरने लगे,
चेहरे, जरा सा, बदलने लगे,
शामिल हुई, अंतरंग सारी लिखावटें,
पड़ने लगी, तंग सी सिलवटें,
उभर सा गया हूँ!
या, और थोड़ा, निखर सा गया हूँ?
कभी था, अव्यक्त जैसे!
चाह देखकर भाव बढ़ाता
हाथ लगाओ खूब रुलाता
है सखी उसको खुद पर नाज
क्या सखी साजन ?.....
..........ना सखी प्याज ।
खुद का भरोसा नित करो
मन में न भय कोई पले,
है स्वप्न में जन्नत अगर
सुख की फसल भीतर खिले !
माईईईई...!ऐ माई रे..! गज़ब हो गया..!
क्या हुआ रजुआ..? काहे सुबह-सुबह से चिल्ल मचाए हो?
जानकी ने बाहर आकर पूछा।
अरे माई..!वो..वो हरिया काका..!
हांफते हुए रजुआ बोला।माई..! हरिया काका ने
खुद को पेड़ से लटका लओ।
का कह रहो है..?सच है माई..!हे भगवान जै का हो गयो..?
चल जल्दी..!जानकी बसंत पंचमी की पूजा की तैयारी कर रही थी।
ए दोस्त कहाँ हो ,कैसे हो ,
बोलो न , कुछ तो बोलो
बात बनेगी , राह दिखेगी ,
अपने अंतर्मन को खोलो
धूप ,छाँव ,शहर और गाँव ,
सब इक से हो जायेंगे
महफ़िल तुम जहाँ बनाना ,
अधरों में मिश्री को घोलो
...
आज बस इतना ही
फिर मिलते हैं कल
सादर
आज बस इतना ही
फिर मिलते हैं कल
सादर
बहुत सुंदर लिंक्स, बेहतरीन रचनाएं, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी।
ReplyDeleteआज पटल पर
ReplyDeleteबसंत उजड़ गयो..
मार्मिक परंतु सत्य लघुकथा पढ़ने को मिला। इसके लिए आपका आभार ।
छोटे किसानों की आज भी वहीं स्थिति है , जो प्रेमचंद की कहानी पूस की रात में हल्कू की रही।
उनके बच्चे किसानी छोड़ महानगरों की ओर पलायन कर रहे हैं । बिटिया का हाथ पीला करने का सपना आज भी छोटे किसान बमुश्किल पूरा कर पाते हैं । इनके अच्छे दिन पता नहीं कब लौटेंगे ?
इस सुंदर प्रस्तुति केलिए प्रणाम ।
सुंदर लिंक्स
ReplyDeleteबसंत उजड़ गया" ने जहन तक जख्मों को कुरेद डाला.
खूबसूरत अंक।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अंक।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचनाओं के साथ मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहेदिल से धन्यवाद आपका..
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति।
रोचक भूमिका के साथ पठनीय सूत्रों का संकलन ! आभार !
ReplyDeleteबेहतरीन रचनाएं,
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