सादर अभिवादन
आज यहाँ धूप खिली हुई है
नजारे खुश हैं
शहर में चर्चाओं का
बाजार गरम है कि
आज यहाँ धूप खिली हुई है
नजारे खुश हैं
शहर में चर्चाओं का
बाजार गरम है कि
दिल्ली विधानसभा चुनावों के एग्जिट पोल
साफ बता रहे हैं कि राज्य में
आम आदमी पार्टी की सरकार
एक बार फिर प्रचंड बहुमत
के साथ वापस आ रही है.
इसके साथ ही जनता ने
साबित कर दिया है कि
उनके लिए सबसे अहम मुद्दा
सिर्फ और सिर्फ विकास ही है.
अब चलें रचनाओँ की ओर......
झाड़ू लेकर हाथ में, साफ करो परिवेश।
आम आदमी ने दिया, दिल्ली को सन्देश।।
नेताओं की नीति पर, उठने लगे सवाल।
फिर से दिल्ली जीतने, चला केजरीवाल।।
तुम्हारे महल के
सारे ऐशो आराम ठुकरा कर
मेरा बंजारा मन आज भी
उसी तम्बू में अटका हुआ है
जहाँ बरसों पहले
ज़मीन पर बिछी पतली सी दरी पर
मेरे हलके से शॉल को लपेट कर
हम दोनों ने दिसंबर की वो
ठिठुरती रात बिताई थी !
तुम जो गए, ख्वाब कैसे बो गए!
लेते गर सुधि,
ऐ, सखी,
सौंप देता, ये ख्वाब सारे,
सुध जो हारे,
बाँध देता, उन्हें आँचल तुम्हारे,
मौसम ने पाती लिखी, उड़ा गुलाबी रंग
पात पात फागुन धरे, उत्सव वाले चंग
उत्सव वाले चंग, चटक गुलमोहर फूला
जीवन में आनंद, पड़ा वृक्षों पर झूला
कहती शशि यह सत्य, अनोखा मन में संगम
धरती का उन्माद, धरे मंगलघट मौसम
दिन आज का बहुत सुहाना साथी -
आज कहीं मत जाना साथी !!
मुदित मन के मनुहार खुले हैं ,
नवसौरभ के बाजार खुले हैं ;
डाल - डाल पर नर्तन करती -
कलियों के बंद द्वार खुले हैं ;
सजा हर वीराना साथी
आज कहीं मत जाना साथी
...
अब बस
कल फिर मिलते हैं
सादर
अब बस
कल फिर मिलते हैं
सादर
बहुत सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का यह संकलन यशोदा जी! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद आभार सखी ! सप्रेम वन्दे!
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ReplyDeleteमुदित मन के मनुहार खुले हैं ,
नवसौरभ के बाजार खुले हैं ;
डाल - डाल पर नर्तन करती -
कलियों के बंद द्वार खुले हैं ;
सजा हर वीराना साथी
आज कहीं मत जाना साथी...
आदरणीया रेणु जी यह रचना मंच को शोभायमान कर रही है।
मौसम ने पाती लिखी, उड़ा गुलाबी रंग
पात पात फागुन धरे, उत्सव वाले चंग
उत्सव वाले चंग, चटक गुलमोहर फूला
जीवन में आनंद, पड़ा वृक्षों पर झूला
कहती शशि यह सत्य, अनोखा मन में संगम
धरती का उन्माद, धरे मंगलघट मौसम..
आदरणीय शशी पुरवार जी की फागुनी रचना ...
आदरणीया साधना जी की बंजारा...तथा मयंक जी की संदेश देती रचनाओं से सजी इस मंच पर मुझे भी स्थान देने हेतु हृदयकसे आभार।
.....हृदयतल से आभार
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय पुरुषोत्तम जी🙏🙏🙏
Deleteबहुत ही प्यारा अंक आदरणीय दीदी। प्रेमासिक्त रचनाएँ प्रेम के बसंत की आहट दे रही है। सभी रचनाएँ मनभावन और समसामयिक विषय पर भूमिका लाजवाब 👌👌👌 चुनावों में प्राय हर पार्टी अपनी विजय श्री का दावा करती नज़र आती हैं पर नतीजे ही इन दावों का सही आकलन करेंगे। मेरी रचना को इस अंक में सजाने के लिए कोटि आभार 🙏🙏🙏
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