सादर अभिवादन
आज 19 नवम्बर
आज भारत की पहली प्रधान मंत्री
प्रियदर्शिनी इन्दिरा गाँधी का जन्म दिवस
सादर नमन उनको ...
आज की रचनाएँ...
भारतीय ध्रुवतारा इंदिरा गांधी ...शालिनी कौशिक
जब ये शीर्षक मेरे मन में आया तो मन का एक कोना जो सम्पूर्ण विश्व में पुरुष सत्ता के अस्तित्व को महसूस करता है कह उठा कि यह उक्ति तो किसी पुरुष विभूति को ही प्राप्त हो सकती है किन्तु तभी आँखों के समक्ष प्रस्तुत हुआ वह व्यक्तित्व जिसने समस्त विश्व में पुरुष वर्चस्व को अपनी दूरदर्शिता व् सूक्ष्म सूझ बूझ से चुनौती दे सिर झुकाने को विवश किया है .वंश बेल को बढ़ाने ,कुल का नाम रोशन करने आदि न जाने कितने ही अरमानों को पूरा करने के लिए पुत्र की ही कामना की जाती है किन्तु इंदिरा जी ऐसी पुत्री साबित हुई जिनसे न केवल एक परिवार बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र गौरवान्वित अनुभव करता है और इसी कारण मेरा मन उन्हें ध्रुवतारा की उपाधि से नवाज़ने का हो गया और मैंने इस पोस्ट का ये शीर्षक बना दिया क्योंकि जैसे संसार के आकाश पर ध्रुवतारा सदा चमकता रहेगा वैसे ही इंदिरा प्रियदर्शिनी ऐसा ध्रुवतारा थी जिनकी यशोगाथा से हमारा भारतीय आकाश सदैव दैदीप्यमान रहेगा।
१९ नवम्बर १९१७ को इलाहाबाद के आनंद भवन में जन्म लेने वाली इंदिरा जी के लिए श्रीमती सरोजनी नायडू जी ने एक तार भेजकर कहा था -''वह भारत की नई आत्मा है .''
खुशनसीब ...आनन्द शेखावत
उस वक्त मैं कितना,
खुशनसीब था,
जो तेरा दिख जाना,
भी कितना हसीन था।
मोहब्बत तो करते थे,
बादशाहों वाली,
पर इजहार भी करना,
कहाँ नसीब था।
पावस ....डा.विमल ढौंडियाल
परिपूर्ण भरो प्रणयी घट को
प्रणय पाश आलिगंन दो
स्नेह नीर पयोद करें
पावस बन निर्झर सी झरो ||
लहराओ निज केश छटा
आच्छादित नभ कृष्ण घटा
दिग्वास करो हिय सुवास भरो
पावस को मधुमास करो |
कभी तो भूल पाऊँगा ...ऋषभ शुक्ला
पहले तुम्हारी एक झलक को,
कायल रहता था|
लेकिन अगर तुम अब मिले,
तों भूलना मुश्किल होगा||
हसरतों की राख ...प्रवीण शर्मा ताल
मेरी जिंदगी के अनोखे नजारे
कभी सुख कभी दुःख के भंडारे
हसरतों की राख कहाँ वदारे।
शोले शबनम की हस्तियों में
उगलते है नफरत के अंगारे
हसरतों की राख कहाँ वदारे।
...
अब बस
बाकी कल
सादर
आज 19 नवम्बर
आज भारत की पहली प्रधान मंत्री
प्रियदर्शिनी इन्दिरा गाँधी का जन्म दिवस
सादर नमन उनको ...
आज की रचनाएँ...
भारतीय ध्रुवतारा इंदिरा गांधी ...शालिनी कौशिक
जब ये शीर्षक मेरे मन में आया तो मन का एक कोना जो सम्पूर्ण विश्व में पुरुष सत्ता के अस्तित्व को महसूस करता है कह उठा कि यह उक्ति तो किसी पुरुष विभूति को ही प्राप्त हो सकती है किन्तु तभी आँखों के समक्ष प्रस्तुत हुआ वह व्यक्तित्व जिसने समस्त विश्व में पुरुष वर्चस्व को अपनी दूरदर्शिता व् सूक्ष्म सूझ बूझ से चुनौती दे सिर झुकाने को विवश किया है .वंश बेल को बढ़ाने ,कुल का नाम रोशन करने आदि न जाने कितने ही अरमानों को पूरा करने के लिए पुत्र की ही कामना की जाती है किन्तु इंदिरा जी ऐसी पुत्री साबित हुई जिनसे न केवल एक परिवार बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र गौरवान्वित अनुभव करता है और इसी कारण मेरा मन उन्हें ध्रुवतारा की उपाधि से नवाज़ने का हो गया और मैंने इस पोस्ट का ये शीर्षक बना दिया क्योंकि जैसे संसार के आकाश पर ध्रुवतारा सदा चमकता रहेगा वैसे ही इंदिरा प्रियदर्शिनी ऐसा ध्रुवतारा थी जिनकी यशोगाथा से हमारा भारतीय आकाश सदैव दैदीप्यमान रहेगा।
१९ नवम्बर १९१७ को इलाहाबाद के आनंद भवन में जन्म लेने वाली इंदिरा जी के लिए श्रीमती सरोजनी नायडू जी ने एक तार भेजकर कहा था -''वह भारत की नई आत्मा है .''
खुशनसीब ...आनन्द शेखावत
उस वक्त मैं कितना,
खुशनसीब था,
जो तेरा दिख जाना,
भी कितना हसीन था।
मोहब्बत तो करते थे,
बादशाहों वाली,
पर इजहार भी करना,
कहाँ नसीब था।
पावस ....डा.विमल ढौंडियाल
परिपूर्ण भरो प्रणयी घट को
प्रणय पाश आलिगंन दो
स्नेह नीर पयोद करें
पावस बन निर्झर सी झरो ||
लहराओ निज केश छटा
आच्छादित नभ कृष्ण घटा
दिग्वास करो हिय सुवास भरो
पावस को मधुमास करो |
कभी तो भूल पाऊँगा ...ऋषभ शुक्ला
पहले तुम्हारी एक झलक को,
कायल रहता था|
लेकिन अगर तुम अब मिले,
तों भूलना मुश्किल होगा||
हसरतों की राख ...प्रवीण शर्मा ताल
मेरी जिंदगी के अनोखे नजारे
कभी सुख कभी दुःख के भंडारे
हसरतों की राख कहाँ वदारे।
शोले शबनम की हस्तियों में
उगलते है नफरत के अंगारे
हसरतों की राख कहाँ वदारे।
...
अब बस
बाकी कल
सादर
व्वाहहहह...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति...
सादर...
सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.....
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार|
सुंदर अंक, बेहतरीन रचनाएं।
ReplyDeleteसंग्रहणीय प्रस्तुति, मुझे स्थान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति।
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