सादर अभिनन्दन
व्रती महिलाओँ का
उनकी सारी मनोकामना पूर्ण हो
इसी प्रत्याशा के साथ देखिए आज की रचनाएँ
व्रती महिलाओँ का
उनकी सारी मनोकामना पूर्ण हो
इसी प्रत्याशा के साथ देखिए आज की रचनाएँ
हुई है, प्यास कैसी ये सजग?
है जो, पानी से अलग!
घूँट, कितनी ही पी गया मैं!
प्यासा! फिर भी, कितना रह गया मैं!
तृप्त, क्यूँ न होता, ये मन कभी?
ये कागज़ ,कलम और स्याही ,
सब से कर दे जुदा हमें ,
ये शगल,"नील" और कोशिशों की
कोई उम्दा ही कहानी हो
उचित वक्त है गीतों को अब,
आत्मसात करने का उर में
इन्हें विचारों की कुंठा से,
स्वतंत्रता देनी ही होगी।
बीत गया इस वर्ष का,दीपों का त्यौहार।
वायु प्रदूषण बढ़ रहा ,जन मानस बीमार ।।
दोष पराली पर लगे ,कारण सँग कुछ और।
जड़ तक पहुँचे ही नहीं ,कैसे हो उपचार ।।
टूट सकें न बंधन ऐसा,
प्रेम,एकता पाश के जैसा।
खुशियों से वह घर चमकाता,
प्रीत सुमन आंगन महकाता।।
मशीन ने लिखा ....अश्विनी ढुंढाड़ा
शब्दों को पिरोना और
लिखने का हुनर सबने सीखा
किसी ने कुछ खास लिखा,
किसी ने कुछ आम लिखा
दिवाली पर दिवाली का लिखा,
होली पर होली का लिखा
भला लिखने को भी अब
इंसान परंपरा बनाता दिखा
मशीन ने लिखा ....अश्विनी ढुंढाड़ा
शब्दों को पिरोना और
लिखने का हुनर सबने सीखा
किसी ने कुछ खास लिखा,
किसी ने कुछ आम लिखा
दिवाली पर दिवाली का लिखा,
होली पर होली का लिखा
भला लिखने को भी अब
इंसान परंपरा बनाता दिखा
पुराने में अभी भी दम है
150 रुपए किलो वाली बात नहीं है
150 रुपए किलो वाली बात नहीं है
साहित्यिक हिन्दी
अलग बात है
हिन्दी क्षेत्र की
क्षेत्रीय भाषायें
हिन्दी पढ़ने
समझने वाले ही
समझ सकते हैं
समझा सकते हैं
ये सबसे
महत्वपूर्ण
समझने
वाली बात है
...
आज बस
कल फिर मिलते हैं
सादर...
...
आज बस
कल फिर मिलते हैं
सादर...
आभारी हूँ इस सुंदर प्रस्तुति के सौन्दर्य का एक हिस्सा बनकर। हिन्दी फले फूले और यह मंच भी सजती रहे।
ReplyDeleteआभार यशोदा जी। पुराना रखे रखे एक खाद अच्छी बन कर भी देता है :)
ReplyDeleteबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteमैं अपनी रचना को शामिल करने के लिए आभारी हूं। सादर, --नील
ReplyDeleteमेरी रचना "मशीन ने लिखा " को शामिल करने के लिए आपका आभार यशोदा जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति ,
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई,सभी रचनाएं बहुत उम्दा/पठनीय।
रचनाकारों को बधाई।
वाकई यहाँ प्रस्तुत प्रत्येक रचनाएँ अद्भुत है। इनकी भाव तो सार्थक हैं ही साथ ही हमारे अंतरात्मा तक पहुंचने में भी सफल रहीं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी
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