सादर अभिवादन
एल्लो....
जा रहा है नवम्बर भी
बिना कुछ किए धरे
अरे..मुख्यमंत्री तो बनवा जाता
महाराष्ट्र का किसी को
20 दिन हो चले हैं..
चलिए ..बनेगा
कोई न कोई..हमें क्या
चलिए रचनाओं की ओर...
बड़ा इंसान ...अनुराधा चौहान
तू यहीं खड़ी रहेगी या चलकर काम करेगी।कमली ने जोरदार थप्पड़ मारते हुए मुन्नी से बोली।आह..माई दुखता है,क्यों मार रही है सुबह-सवेरे से ?
अरे मुझे आँख दिखाती है छोरी।यह बरतन कौन साफ करेगा बता, मुझे मजदूरी करने भी जाना है।
छः बरस की मुन्नी सुबकते हुए बरतन साफ करने लगी।
माई एक बात पूछूँ..? डरते-डरते मुन्नी ने माई से पूछा।हाँ बोल क्या बात है..रोटियाँ सेंकती हुई कमली बोली।
जहाँ प्यार दिख जाये .....वाणी गीत
सत्यनारायण पूजा पर एकत्रित परिवार की सब स्त्रियाँ पूजा के बाद सबको प्रसाद खिला अब स्वयं भी तृप्त होकर आराम करते गप्पे लड़ा रही थीं. जैसा कि अकसर महिला मंडल की बैठकों में होता है, वही यहाँ भी होने लगा. अनुपस्थित छोटी बहू के बारे में बातें करते कोई ताली बजाकर हँस रहा तो किसी के चेहरे पर उपहास उड़ाती मुस्कान...
देखो तो. भैया कितना प्यार करते हैं. जब तक रसोई में थी, वही मंडराते रहे....
अरे हाँ, कोई शरम ही नहीं है बोलो. सबके सामने एक ही पत्तल में परोस कर खा रहे थे.
मन से मन का नाता ...डॉ. सुरंगमा यादव
मैं रख लूँगी मान तुम्हारा
तुम मेरा मन रख लेना
दर्द अकेले तुम मत सहना
मुझसे साझा कर लेना
मन की बात न मन में रखना
तुम चुपके से कह देना
मैं अपना सर्वस्व लुटा दूँ
इश्क़ रूहानी ..पंकज प्रियम
कर मुहब्बत लिख कहानी,
क्या मिलेगी फिर जवानी।
चार दिन की ज़िन्दगी में-
रोज जी ले जिन्दगानी।।
लिख फ़साना रख निशानी,
फिर कहाँ यह रुत सुहानी।
चार पल का है ये जीवन-
रोज करना कुछ तूफानी।।
उलूक टाईम्स से ...डॉ. सुशील जोशी
हर
जगह हैं
फैले हुऐ हैंं
चाचा
पहचानो
अपने अपने
आस पास के
चाचाओं को
चरण
वंदन करो
चाचाओं के
मोक्ष
पा लेने
के लिये
कुछ बलिदान
कर ले जाओ
....
"बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी.
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है."
अब बस
कल फिर मिलेंगे
सादर
एल्लो....
जा रहा है नवम्बर भी
बिना कुछ किए धरे
अरे..मुख्यमंत्री तो बनवा जाता
महाराष्ट्र का किसी को
20 दिन हो चले हैं..
चलिए ..बनेगा
कोई न कोई..हमें क्या
चलिए रचनाओं की ओर...
बड़ा इंसान ...अनुराधा चौहान
तू यहीं खड़ी रहेगी या चलकर काम करेगी।कमली ने जोरदार थप्पड़ मारते हुए मुन्नी से बोली।आह..माई दुखता है,क्यों मार रही है सुबह-सवेरे से ?
अरे मुझे आँख दिखाती है छोरी।यह बरतन कौन साफ करेगा बता, मुझे मजदूरी करने भी जाना है।
छः बरस की मुन्नी सुबकते हुए बरतन साफ करने लगी।
माई एक बात पूछूँ..? डरते-डरते मुन्नी ने माई से पूछा।हाँ बोल क्या बात है..रोटियाँ सेंकती हुई कमली बोली।
जहाँ प्यार दिख जाये .....वाणी गीत
सत्यनारायण पूजा पर एकत्रित परिवार की सब स्त्रियाँ पूजा के बाद सबको प्रसाद खिला अब स्वयं भी तृप्त होकर आराम करते गप्पे लड़ा रही थीं. जैसा कि अकसर महिला मंडल की बैठकों में होता है, वही यहाँ भी होने लगा. अनुपस्थित छोटी बहू के बारे में बातें करते कोई ताली बजाकर हँस रहा तो किसी के चेहरे पर उपहास उड़ाती मुस्कान...
देखो तो. भैया कितना प्यार करते हैं. जब तक रसोई में थी, वही मंडराते रहे....
अरे हाँ, कोई शरम ही नहीं है बोलो. सबके सामने एक ही पत्तल में परोस कर खा रहे थे.
मन से मन का नाता ...डॉ. सुरंगमा यादव
मैं रख लूँगी मान तुम्हारा
तुम मेरा मन रख लेना
दर्द अकेले तुम मत सहना
मुझसे साझा कर लेना
मन की बात न मन में रखना
तुम चुपके से कह देना
मैं अपना सर्वस्व लुटा दूँ
इश्क़ रूहानी ..पंकज प्रियम
कर मुहब्बत लिख कहानी,
क्या मिलेगी फिर जवानी।
चार दिन की ज़िन्दगी में-
रोज जी ले जिन्दगानी।।
लिख फ़साना रख निशानी,
फिर कहाँ यह रुत सुहानी।
चार पल का है ये जीवन-
रोज करना कुछ तूफानी।।
उलूक टाईम्स से ...डॉ. सुशील जोशी
हर
जगह हैं
फैले हुऐ हैंं
चाचा
पहचानो
अपने अपने
आस पास के
चाचाओं को
चरण
वंदन करो
चाचाओं के
मोक्ष
पा लेने
के लिये
कुछ बलिदान
कर ले जाओ
....
"बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी.
अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है."
अब बस
कल फिर मिलेंगे
सादर
बढ़िया अंक..
ReplyDeleteसाधुवाद..
सादर...
धन्यवाद!
ReplyDeleteसार्थक कार्य आप लोगों का 👍
आभार यशोदा जी।
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार यशोदा जी ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर संकलन, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी।
ReplyDeleteसार्थक लिंको के साथ उम्दा प्रस्तुति।
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