Sunday, November 10, 2019

171 ..मुखौटे बदल के देखते हैं

हो गया फैसला
कोई खुश तो
कोई नाखुश
जानबूझ कर किसी
बाजिब बात को लम्बा खींचे
तो कोफ़्त होती है
जो हुआ सो अच्छा हुआ
और आगे जो होगा वो
और अच्छा होगा
सही सोच श्रीमद्भभागवत गीता की
चलिए रचनाओँ की ओर..

धवल चाँद का पाश 
पायलों से घायल
ख़ुरदरे पाँवों में 
 पहना देते हो तुम
मल देते हो मेरी
गीली पलकों पर
मुट्ठी भर चाँदनी....

कह सकी न धडकने
हाथ की, कुछ हाथ से
हाथ में ले एक दिल 
एक दिल रखा हाथ में

हाथ ने बात कुछ यूं 
दिल की कही हाथ से
और समझे लोग ये
मिला है हाथ हाथ से

ज़नाब कुछ तो शरारत नज़र ये करती है ।
यूँ बेसबब ही नहीं वो मचल के देखते हैं ।।

गुलों का रंग इन्हें किस तरह मयस्सर हो ।
ये बागवान तो कलियां मसल के देखते हैं ।।

ज़मीर बेच के जिंदा मिले हैं लोग बहुत ।
तुम्हारे शह्र में जब भी टहल के देखते है ।।

वर्तमान का हाल ये ,फैशन बना शराब।
मातु पिता सँग पी रहे,देते तर्क खराब ।।

दिन भर मजदूरी करें ,पीते शाम शराब ।
पत्नी को फिर पीटते,करते जिगर खराब ।।


मनुष्यों का एक झुंड
भेडों को चरा रहा था
भेड़ें मूक-बघिर
सिर्फ़ सांस ले रहीं थीं
नासिका-छिद्र से
कुछ ने कहा- "चलो उस ओर"
कुछ ने कहा- "रुक जाओ यहाँ"
...
आज यहीं तक
कल फिर मिलते हैं
सादर




5 comments:

  1. व्वाहहहह...
    बेहतरीन प्रस्तुति...
    सादर...

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  2. बेहतरीन प्रविष्टियां, सभी सृजकों को साधुवाद

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  3. सुंदर और सार्थक संकलन यशोदा दीदी|सच कहा आपने जो हुआ अच्छा हुआ | ऐतहासिक निर्णय से देश में आपसी सौहार्द का नया माहौल दिखाई पड़ा | ईश्वर करे ये स्थायी हो और अच्छा सोचेंगे तो अच्छा ही होगा | सादर शुभकामनायें आपके लिए और सभी रचनाकारों के लिए भी | सादर --

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  4. बहुत निर्मल मन की सहज अभिव्यक्ति है भुमिका में कहा हर शब्द, काश की हर इंसान इतना निश्छल और सरल हो तो मानवता सदा उधर्वमुखी रहे।
    सुंदर प्रस्तुति सुंदर लिंक चयन।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति

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