सादर अभिवादन
आभार सखी श्वेता को
एक मिनट की सूचना पर
लिंक तलाश कर प्रस्तुत कर दी
वो भी हमसे कम नहीं...
अब चलिए आज की रचनाएँ देखिए..
ढोल की पोल ...कुसुम कोठारी
क्या सच क्या झूठ है, क्या हक क्या लूट है,
मौन हो सब देखिए, राज यूं ना खोलिए,
क्या जा रहा आपका, बेगानी पीर क्यों झेलिए,
कोई पूछ ले अगर, तो भी कुछ ना बोलिए ।
अब सिर्फ देखिए, बस चुप हो देखिए ।
अम्लता की आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा ...डॉ. अनिल दामोदर
आहार नली के ऊपरी हिस्से में अत्यधिक अम्लीय द्रव संचरित होने से खट्टापन और जलन का अनुभव होना एसिडिटी कहलाता है। मुहं में भी जलन और अम्लीयता आ जाती है। आमाषयिक रस में अधिक हायड्रोक्लोरिक एसिड होने से यह स्थिति निर्मित होती है। आमाषयिक व्रण इस रोग में सहायक की भूमिका का निर्वाह करते हैं। आमाषय सामान्यत: भोजन पचाने हेतु जठर रस का निर्माण करता है। लेकिन जब आमाषयिक ग्रंथि से अधिक मात्रा में जठर रस बनने लगता है
कॉपी पेस्ट प्रोटेक्ट को कैंसे कॉपी करें ..राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
अक्सर हम लोगों को पढ़ते पढ़ते कई वेब साइटों पर कुछ अच्छी सामग्री पा लेते हैं मगर वो कॉपी नही हो पाती है क्योंकि वेबसाईट के ऑनर ने उसे प्रोटेक्ट किया हुआ होता है। और यह बहुत अच्छी बात भी है क्योंकि उनकी मेहनत है जब भी हमें उस लेख को पढ़ना पड़ेगा या तो उस वेबसाईट पर जाना पड़ेगा या उसको किसी फाईल में सेव करना पड़ेगा।
महावर ...पुरुषोत्तम सिन्हा
मेहंदी सजाए, कोई महावर लगाए!
हर सांझ, यूँ कोई बुलाए!
गीत कोई, मैं फिर क्यूँ न गाऊँ?
क्यूँ न, रूठे प्रीतम मनाऊँ?
सूनी वो, मांग भरूं,
उन पांवों में, महावर मलूँ,
पायलिया ये जहाँ, रुनुर-झुनुर गाए!
उलूकनामा ..डॉ. सुशील कुमार जोशी
पता नहीं
किसलिये ‘उलूक’
उजाले उजाले
हर तरफ
बिक रही है
उदास नहीं है
मगर
खुश भी
नहीं
दिख रही है
स्याही
से
भरी
दिख रही है
.....
आज अब बस
कल फिर मिलते हैं
सादर
आभार सखी श्वेता को
एक मिनट की सूचना पर
लिंक तलाश कर प्रस्तुत कर दी
वो भी हमसे कम नहीं...
अब चलिए आज की रचनाएँ देखिए..
ढोल की पोल ...कुसुम कोठारी
क्या सच क्या झूठ है, क्या हक क्या लूट है,
मौन हो सब देखिए, राज यूं ना खोलिए,
क्या जा रहा आपका, बेगानी पीर क्यों झेलिए,
कोई पूछ ले अगर, तो भी कुछ ना बोलिए ।
अब सिर्फ देखिए, बस चुप हो देखिए ।
अम्लता की आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा ...डॉ. अनिल दामोदर
आहार नली के ऊपरी हिस्से में अत्यधिक अम्लीय द्रव संचरित होने से खट्टापन और जलन का अनुभव होना एसिडिटी कहलाता है। मुहं में भी जलन और अम्लीयता आ जाती है। आमाषयिक रस में अधिक हायड्रोक्लोरिक एसिड होने से यह स्थिति निर्मित होती है। आमाषयिक व्रण इस रोग में सहायक की भूमिका का निर्वाह करते हैं। आमाषय सामान्यत: भोजन पचाने हेतु जठर रस का निर्माण करता है। लेकिन जब आमाषयिक ग्रंथि से अधिक मात्रा में जठर रस बनने लगता है
कॉपी पेस्ट प्रोटेक्ट को कैंसे कॉपी करें ..राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
अक्सर हम लोगों को पढ़ते पढ़ते कई वेब साइटों पर कुछ अच्छी सामग्री पा लेते हैं मगर वो कॉपी नही हो पाती है क्योंकि वेबसाईट के ऑनर ने उसे प्रोटेक्ट किया हुआ होता है। और यह बहुत अच्छी बात भी है क्योंकि उनकी मेहनत है जब भी हमें उस लेख को पढ़ना पड़ेगा या तो उस वेबसाईट पर जाना पड़ेगा या उसको किसी फाईल में सेव करना पड़ेगा।
महावर ...पुरुषोत्तम सिन्हा
मेहंदी सजाए, कोई महावर लगाए!
हर सांझ, यूँ कोई बुलाए!
गीत कोई, मैं फिर क्यूँ न गाऊँ?
क्यूँ न, रूठे प्रीतम मनाऊँ?
सूनी वो, मांग भरूं,
उन पांवों में, महावर मलूँ,
पायलिया ये जहाँ, रुनुर-झुनुर गाए!
उलूकनामा ..डॉ. सुशील कुमार जोशी
पता नहीं
किसलिये ‘उलूक’
उजाले उजाले
हर तरफ
बिक रही है
उदास नहीं है
मगर
खुश भी
नहीं
दिख रही है
स्याही
से
भरी
दिख रही है
.....
आज अब बस
कल फिर मिलते हैं
सादर
आभार यशोदा जी।
ReplyDeleteव्वाहहहह...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
एसिडिटी और कापी पेस्ट
दोनों ही जरूरी है..
सादर..
परम्परागत सांचे में
ReplyDeleteसुंदर रचनाएं।
कुछ पंक्तियां आपकी नज़र 👉👉 ख़ाका
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteप्रणाम आदरणीया यशोदा जी। आपका हार्दिक आभार मेरे ब्लॉग के छोटे से आर्टिकल को इस समूह में साझा करने हेतु।
ReplyDeleteसुंदर सांध्य मुखरित मौन,
ReplyDeleteउम्दा संकलन।
सभी रचनाकारों को बधाई
मेरी रचना शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।