9-11
जी हाँ
ऐतिहासिक दिन आज ही का दिन
जी हाँ
ऐतिहासिक दिन आज ही का दिन
9 तारीख 11वां महीना, ये महज तारीख नहीं है बल्कि एक ऐसा दिन है जिसमें हुई घटनाएँ इतिहास का रूप ले चुकी है, पाँच सदियों से चला आ रहा है अयोध्याभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना देगा..और तो और ....आज ही भारत के नागरिकों के लिए करतारपुर साहिब कॉरिडोर का उद्घाटन भी किया जाएगा, आजादी के बाद पहली बार होने जा रहा है जब बिना किसी रोक-टोक के
भारतीय करतारपुर सहिब गुरुद्वारे के दर्शन कर सकेंगे
और आज ही के दिन
और आज ही के दिन
बर्लिन की दीवार 9 नवंबर 1989 को गिरा दी गई थी और यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त हो गया था। इस आंदोलन ने शीत युद्ध के खत्म होने और उसके साथ कम्युनिस्ट शासन के समाप्त होने का संकेत दिया था। बर्लिन के गेस्ट आर्टिस्ट मैक्स गूथर ने कहा कि इस विषय पर काम करना उनके लिए सम्मानजनक बात रही है।
गूगल आज डूडल के जरिए बर्लिन की दीवार गिरने की
30वीं ऐनिवर्सरी को मना रहा है।
अब चलिए रचनाओँ की ओर..
भावों के मोती चुन चुन कर,सृजन नया अब करते हैं,
नेह निमंत्रण मिला आपका,चलो एक गीत लिखते हैं
दरवाजे पर टिकी निगाहें, वो वृद्धाश्रम में रहते हैं,
भीगे नयनों को स्याही बना ,चलो एक गीत लिखते हैं
ना मंजिल ना आशियाना पाया
वो यायावर सा भटक गया
तिनका-तिनका जोडा कितना
नशेमन इख़लास का उजड़ गया
रूह प्यासी कहाँ से आती है
ये उदासी कहाँ से आती है
दिल है शब दो का तो ऐ उम्मीद
तू निदासी कहाँ से आती है
बहुत गर्माहट देती हैं
शीत ऋतु में तुम्हारी चुप्पियां
जैसे किसी नवजात को माँ ने
अपनी छाती में भींच रखा हो.
एक अरसे के बाद तुम्हारा आना
ऐसे भरता है
हमारी सर्द रातों में गर्मी
जैसे किसी दुधमुँहे के तलवों पर
अभी-अभी की गई हो
गुनगुने सरसों के तेल की मालिश.
मैं यह कविता तुम्हें सौंपता हूं
चूंकि मेरे पास देने को और कुछ नहीं
इसे एक गर्म कोट की तरह रखना
जब ठंड तुम्हें जकड़ने आए
या एक जोड़ी मोटे जुराबों की तरह
जिनके पार नहीं जा सकती है ठंड,
...
ऊपर भी भारी
और नीचे उससे भी भारी
प्रतीक्षा कीजिए..
कल क्या होगा
पता चलेगा आधी रात को
सादर
...
ऊपर भी भारी
और नीचे उससे भी भारी
प्रतीक्षा कीजिए..
कल क्या होगा
पता चलेगा आधी रात को
सादर
व्वाहहहह...
ReplyDeleteबेमिसाल प्रस्तुति..
सादर...
बेहतरीन संकलन
ReplyDeleteआज का दिन खास रहा
🌹💐🌹💐🌹💐🙏🙏🙏🙏🌹💐🌹💐🌹
ReplyDeleteआदरणीय दीदी, आज के एतहासिक फैसले के लिए माननीय न्यायपालिका को कोटि नमन। मंदिर _मस्ज़िद से अलग राष्ट्र की आपसी सौहार्द और अखण्डता की गरिमा बढ़ाते फैसले से बर्लिन् की दीवार की भाँति, भारत के जनमानस के भीतर व्याप्त संशय और भय की दीवार भीे धराशायी हो गई है। गंगा _जमनी तहज़ीब की महिमा बढाके नौ नवंबर आगे बढ गया। नफरत के सौदागर अपनी दुकानें सजाकर बैठे रहे , , आपसी प्रेम ने बाजी जीत ली । करतारपुर साहब के कॉरिडोर के उद्घाटन और अयोध्या मंदिर के विवाद का शांतिपूर्ण समाधान समस्त
देशवासियों के लिए संतोष का विषय है। सभी को बधाई और शुभकामनायें। आपने बहुत सुंदर भूमिका लिखी साथ में अत्यंत सराहनीय लिंक लगाये। आपको सादर आभार और सभी रचनाकारौं को बधाई और शुभकामनायें। 🙏🙏
बहुत सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाएं सार्थक सुंदर।
ReplyDeleteमेरी रचना को मुखरित मौन शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।