Saturday, January 30, 2021

616 .."आज मैं ऊपर, आसमाँ नीचे, आज मैं आगे, जमाना है पीछे...."

सादर अभिनवादन
शहीद दिवस है
आज बापू को भी याद किया दाता है
वैसै शहीद दिवस 23 मार्च को मनाया जाता है सादर नमन बापू को आज की रचनाएँ...
मॉल से बाहर निकलते निकलते मैं सोचने लगी कि हम इंसान तो ''अपना टाइम आएगा...अपना टाइम आएगा...'' ऐसा गा गा कर खुद को तसल्ली दे रहे है। और ये राख है जो गा रही है, "आज मैं ऊपर, आसमाँ नीचे, आज मैं आगे, जमाना है पीछे...."


अमावस्या की रात
जो चल रही है ...
ना मशाल लेकर
राह दिखाएगा कोई ।

एक ज्योतिपुंज जो
जल रही है भीतर तेरे
मझधार में बन पतवार
पार लगाएगी वही ।


गुज़रो यहाँ से यूँ जैसे सब कुछ देख के,
कुछ भी देखा नहीं, सत्य सुन्दर है बहुत,
लेकिन उसमें छुपा है विष का प्याला, ज़रा सा
ऐतराज़ पलक झपकते तुम्हें सुक़रात बना जाएगा,


सर्दी में सबको प्यारी लगती  धूप
देखो बिल्ली मौसी क्या पसरी खूब!

धूप में छिपा है इसकी सेहत का राज
बड़े मजे में है मत जाना उसके पास


अपने दमख़म पर।
उसके चारों ओर  केवल दुश्मन ही दुश्मन।
किंतु, दुश्मनों की 'गुणवत्ता' इतनी उत्कृष्ट कि
अब उसे किसी मित्र की कोई आवश्यकता नहीं!
एकला चलो !


दौड़ती गाड़ियों के बीच स्वयं से बोलता हुआ
अपने भाग्य को मन ही मन तोलता हुआ

रत्ती रत्ती स्वयं को मारने निकला है वो
कितने सहचर है किन्तु देखिये इकला है वो
... शनि-रवि मैं नहीं आती बाकी सब दिन आती हूँ सादर

 

7 comments:

  1. बहुत अच्छी सांध्य दैनिक मुखरित मौन प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

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  2. बेहतरीन अंक
    सादर..

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  3. सुंदर संकलन। आभार!!@

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  4. सभी रचनाएँ अपनी जगह अद्वितीय हैं मुझे जगह देने हेतु असीम आभार आदरणीया यशोदा जी - - नमन सह।

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  5. बहुत बढ़िया संकलन। मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।

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  6. एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन।
    मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए हार्दिक आभार यशोदा दी।
    सादर।

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