Saturday, December 19, 2020

574...जब अपना ख़्याल आता है

सांध्य अंक में आपसभी का
स्नेहिल अभिवादन।
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उतर कर आसमां की
सुनहरी पगडंडी से
छत के मुंडेरों के
कोने में छुप गयी
रोती गीली-गीली शाम।
कुछ बूँदें छितराकर
तुलसी के चौबारे पर
साँझ दीये की बाती में
जल गयी भीनी-भीनी शाम।
उदास दरख्तों के बाहों में
पत्तों के दामन में लिपटी
सो गयी चुप कुम्हलाई शाम।
#श्वेता


आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
खिड़की के उस पार

पार की दुनिया का रहस्य अनायास,
भू तल में अभी तक है, मेरा
निवास। दरअसल, इन
मंज़िलों में पौधों
को पालते
पोसते  
हम ख़ुद को ही सिंचना जाते हैं भूल,
जब अपना ख़्याल आता है, तब
तक सूख चुका होता है,


सहर देते जाना


भले रह गई ज़िन्दगी ये अधूरी
ग़ज़ल इक मुकम्मल मगर देते जाना
कहीं आलसी हो के मन टिक न जाना
यादों का लम्बा सफ़र देते जाना 


गज़ल

बेपरवाह जिंदगी हौसलों की कश्ती ले चली 
जिस जगह पर रुक गई वही किनारे हो गये!!
गरीबी की चक्की में पिसते रहे ता उम्र जो
बच्चे स्कूल जाने को उनके तरसते रह गये!!

जमाने से बगावत हो गयी है

जो रहता है अभी भी दिल में मेरे...
उसी से क्यूँ मसाफ़त हो गयी है...!
मिलीं नाकामियाँ उल्फ़त में हमको...
न जाने क्या कयामत हो गयी है...!


झटपट पोषण सबके लिए

 आजकल छोटे बच्चों को खाना खिलाना आसान नहीं। ऐसे में घर पर उपलब्ध सामग्री से ही पौष्टिक खाना कैसे बनाया जाय और अपने छोटे छोटे बच्चों के लिए कैसे उसे फेवरेट किया जाय यह आज माओं के लिए बहुत बड़ा चैलेंज है।
आज मैंने अपनी रसोई में एक प्रयोग किया और मेरी 6 साल की बेटी जो किसी भी सब्जी को हांथ नहीं लगाना चाहती उसे सारी सब्जियां खिलाई वह भी बिना किसी मुश्किल के।
तो दोस्तों मैं आपके साथ रेसिपी शेयर कर रही हूं, आप चाहें तो आप भी अपने बच्चे की खुराक को पौष्टिक बना सकती हैं और  अपने बच्चे को प्यार से खिला सकती हैं।

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कल मिलिए

यशोदा दी से।







4 comments:

  1. शुभ संध्या..
    उतर कर आसमां की
    सुनहरी पगडंडी से
    छत के मुंडेरों के
    कोने में छुप गयी
    रोती गीली-गीली शाम।
    बेहतरीन चयन..
    सादर..

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  2. प्रिय श्वेता जी,

    उदास दरख्तों के बाहों में
    पत्तों के दामन में लिपटी
    सो गयी चुप कुम्हलाई शाम।

    आपकी इन पंक्तियों को पढ़ कर एक दृश्य सा उभर आया आंखों के सामने....
    दूर वादियों में गहराती शाम और एकाकी मन से प्रवाहित होती कविता की रसवंती धारा...

    साधुवाद 🌷🙏🌷

    मेरी पोस्ट को आपने यहां प्रस्तुत किया इस हेतु हार्दिक आभार 🙏
    शुभकामनाओं सहित,
    डॉ. वर्षा सिंह

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  3. बहुतै बढ़िया रचनाऐं पढ़वाए आप
    आभार..
    सादर..

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  4. सुन्दर संकलन व प्रस्तुति, आकर्षक रचनाएं मुखरित मौन को सजाती हुई, मुझे शामिल करने हेतु हार्दिक आभार - - नमन सह।

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