Saturday, December 5, 2020

560..तेरा लिखा जरा सा भी समझ में नहीं आता है कह लेने में क्या जाता है?

सांध्य अंक में

आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।


नक़्श-ए-ख़याल दिल से मिटाया नहीं हनूज़

बे-दर्द मैं ने तुझ को भुलाया नहीं हनूज़

वो सर जो तेरी राहगुज़र में था सज्दा-रेज़

मैं ने किसी क़दम पे झुकाया नहीं हनूज़

मेहराब-ए-जाँ में तू ने जलाया था ख़ुद जिसे

सीने का वो चराग़ बुझाया नहीं हनूज़

बेहोश हो के जल्द तुझे होश गया

मैं बद-नसीब होश में आया नहीं हनूज़

मर कर भी आएगी ये सदा क़ब्र-ए-'जोश' से

बे-दर्द मैं ने तुझ को भुलाया नहीं हनूज़

-जोश मलीहाबादी

मन



यहाँ..

सारा का सारा

आसमान...

कब और किसको 

मिला है..

यह मन ही 

पागल है...

मिठास की चाह भी 

रखता है..

और वह भी

 खारी सांभर से...

 


नैतिक चरित्र

नैतिक चरित्रों का आना - जाना, -
हम तो ठहरे अप्रसिद्ध लोग,
हमें बहरहाल, वक़्त के
हमराह यूँ ही जीना
मरना है, हमें
हर विषम
राहों से
सुबह शाम गुज़रना है - - - -

अल्ज़ाइमर से पीड़ित(मेरे अपने)      


हर रिश्ता निभाया है, जी जान से उन्होंने
लगाते उनको भी गले थे, दगा दिया हो जिन्होंने
किसी के बेटे, किसी के भाई, किसी के पिता हैं वो,
मेरे तो पती हैं, पर मानते नहीं है वो

ढलते सूरज ने भी देखा 

अकंपित लौ
तम के भाल पर 
तिलक समान
शोभायमान ।


सपनों ने संन्यास लिया तो

    पीर न लेती जनम धरा पर ,

     तो साँसों के फूल न खिलते |

    यमुना जल पानी कहलाता ,

यदि राधा के अश्रु न मिलते ||


घर से मतलब रखता है
गली में हो रहे शोर से ध्यान हटाता है
शहर में बहुत कुछ होता है
अखबार में उसमें से थोड़ा तो आता है 
अखबार दो रुपिये का अब कौन खरीदता है
बात बस खबर और समाचार के बीच की समझाता है बताता है 
समस्या और समाधान बेकार की बातें हैं
व्यवधान इसी से होता चला जाता है 

------
बस
कल आएगी प्रिय दिव्या

-श्वेता








10 comments:

  1. सादर नमन दीदी
    अच्छा लगा आपको देखकर
    उम्दा प्रस्तुति
    सादर

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  2. बेहतरीन प्रस्तुति..
    सादर..

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  3. बहुत सुन्दर संकलन । संकलन में मेरी रचना साझा करने हेतु आभार श्वेता जी ।

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  4. बेहतरीन संकलन श्वेता .

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  5. सुन्दर संकलन व प्रस्तुति, प्रस्तावना भी बहुत ख़ूबसूरत, मुझे शामिल करने हेतु हार्दिक आभार - - नमन सह।

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  6. बेहतरीन संकलन

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  7. बहुत सराहनीय संकलन

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  8. पठनीय रचनाओं का संयोजन !

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  9. हार्दिक आभार श्वेता जी ।
    करीने से सजे घर के किसी कोने सा संकलन ।
    सभी रचनाकारों को बधाई!

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  10. सुंदर संकलन और सराहनीय प्रस्तुतीकरण..। मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका आभार..। श्रमसाध्य कार्य हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ श्वेता जी..।

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