Wednesday, January 31, 2018

शब्द...........डॉ. प्रभा मुजुमदार


मिट्टी से सोच
आकाश की कल्पना
वक़्त से लेकर
हवा, धूप और बरसात
उग आया है
शब्दों का अंकुर
कागज़ की धरा पर
समय के एक छोटे से 
कालखंड को जीता
ज़मीन के छोटे से टुकड़े पर
जगता और पनपता
फिर भी जुड़ा हुआ है
अतीत और आगत से
मिट्टी की
व्यापकता से।
-डॉ. प्रभा मुजुमदार

11 comments:

  1. वाह बहुत खूब!!
    जुडा है मिट्टी की व्यापकता से।
    बेहतरीन।

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  2. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरूवार 1 फरवरी 2018 को प्रकाशनार्थ 930 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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  3. आदरणीय प्रभा दी , आपकी रचना अर्थों के नए आयाम प्रस्तुत करती है । कई बार पढ़ा हर बार एक अलग अर्थ प्रतिध्वनित हुआ । बेजोड़ लेखन।
    सादर

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  4. बहुत लाजवाब...
    वाह!!!

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  5. बहुत लाजवाब...
    वाह!!!

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २५ जून २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  7. वाह!!बहुत सुंदर ।

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  8. बहुत सुन्दर प्रभा जी

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