Thursday, January 25, 2018

बसंत आया (ताँका)...........डॉ. सरस्वती माथुर

बसंत राग
धरा गगन छाया
सुमन खिलाने को
ऋतुराज भी
कोकिल सा कूकता
मधुबन में आया।
.......
सरसों झूमा
बासंती मौसम में
खेतों में लहराया
धरा रिझाने
तरूवल्ली सजाने
बसंतराज आया।
.......
बौराया मन 
कोयलिया पंचम
राग छेड़ती डोले
ओढ़ कर चूनर
बासंती रंग संग 
फूल पात पे डोले।
.......
प्रीत के गीत
गुनगुनाता आया
पीताम्बर डाल के
बसंत छाया
कोयलिया कुहकी
पलाश दहकाया।
-डॉ. सरस्वती माथुर

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