Sunday, January 28, 2018

इनकी ख़ुशबू से....सीमा गुप्ता "दानी"

इनकी ख़ुशबू से मुअत्तर है ये गुल्शन मेरा,
मेरे बच्चों से महकता है नशेमन मेरा।

खेलते देखती हूँ जब भी कभी बच्चों को,
लौट आता है ज़रा देर को बचपन मेरा।

मुझको मालूम है दरअस्ल है दुनिया फ़ानी,
मोहमाया में गुज़र जाए न जीवन मेरा।

तू जो आ जाए तो बरसात में भीगें दोनों,
सूखा-सूखा ही गुज़र जाए न सावन मेरा।

खो गई कौन सी दुनया में न जाने 'सीमा',
आ तरसता है तेरे वास्ते आँगन मेरा।
-सीमा गुप्ता "दानी"

3 comments:

  1. बहुत सुंदर सभी शेर उम्दा।
    रुहानी नाजुक।

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  2. वाह !!! बहुत खूब
    मन को छूती और खुश करती प्रस्तुति

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  3. मुझको मालूम है दरअस्ल है दुनिया फ़ानी,
    मोहमाया में गुज़र जाए न जीवन मेरा।
    बहुत ही लाजवाब...
    वाह!!!

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