माँ (छन्द : माहिया).....कृष्णा वर्मा
माँ का घर में होना
चौरे पर दीपक
रोशन कोना-कोना।
हर उफ़्फ़ पर आह भरे
कितना बदलो तुम
माँ की ममता ना मरे।
दुख-दर्द सभी पीती
खोजे नेह सदा
घर की ख़ातिर जीती।
माँ छोड़ न तू डोरी
बचपन ज़िंदा रख
ना मरने दे लोरी।
माँ तेरे साय तले
लगते बिटिया को
तीज-त्योहार भले।
-कृष्णा वर्मा
सुन्दर
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