मौन भी मुखरित
साथ रहे
जब राधा और श्याम
कंगन बिछुआ,
पायल छनके
संग मुरली के तान
मगन प्रेम में
बिसराये कब
भोर से हो गयी साँझ
नैन की
आँख-मिचौली में
क्या बतियाने का काम
पात कदंब के
ले हिलकोरे
जमना बैठी लहरे थाम
हवा रागिनी
गाये झूमकर
है भँवरों का गुनगुन गान
मोहनी रस पी
सुधबुध खो
प्रीत सुनाये राधेश्याम
©श्वेता
बेहतरीन
ReplyDeleteसादर
अति सुन्दर ।
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