Monday, January 29, 2018

जल चढ़ाया तो सूर्य ने लौटाए घने बादल ....कुँअर बेचैन

जल चढ़ाया
तो सूर्य ने लौटाए
घने बादल ।

तटों के पास
नौकाएं तो हैं,किन्तु
पाँव कहाँ हैं?

ज़मीन पर
बच्चों ने लिखा'घर'
रहे बेघर ।

रहता मौन
तो ऐ झरने तुझे 
देखता कौन?

चिड़िया उड़ी
किन्तु मैं पींजरे में
वहीं का वहीं !

ओ रे कैक्टस 
बहुत चुभ लिया
अब तो बस 

आपका नाम
फिर उसके बाद
पूर्ण विराम!
- कुँअर बेचैन
सौजन्यः नीतू रजनीश ठाकुर

3 comments:

  1. गज़ब...वाह्ह्ह...सुंदर हायकु👌

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  2. बहुत मनमोहक रचना

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  3. वाह सुंदर ।
    भावों की स्पष्ट अभिव्यक्ति।
    बहुत सुंदर।

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