सादर वन्दे
पहला छठ
बारहां तसल्ली है
कि हम भी हैं..
ये बात तो है..कि
थकावट है जबरदस्त
जाते -जाते जाएगी ये थकावट
....
रचनाओं को दौर...
जाते -जाते जाएगी ये थकावट
....
रचनाओं को दौर...
अंधेरा बहुरूपिया ,(कोरोना)आये धर कर बहुरूप
आशा विजयी,झिलमिलाई धर दीपक का रूप।।
श्वेतशुभ्र-शरद,और बसन्त दोनों देता है शुभ संदेश
दोनों आनन्द के पर्याय हैं दोनों के अलग अलग संदेश
..चलो बताओ ..होसकता है भूल से तुमने ही रख लिया हो ..
कई बार मैं भी रख लेता हूँ .."
कई बार मैं भी रख लेता हूँ .."
"ओ ..याद आया पंडितजी !"--पप्पू बोला
"आपने कल मुझसे पेन लिया था फिर मैं लेना भूल गया
और आप भी ..." "हें !!.." पंडितजी ने कुरते की जेब तलाशी .
एक पेन हाथ में आया तो बोल पड़े–--
और आप भी ..." "हें !!.." पंडितजी ने कुरते की जेब तलाशी .
एक पेन हाथ में आया तो बोल पड़े–--
"अरे हाँ ..हाँ ..मैंने कहा था न कि कभी कभी गलती होजाती है ."
"सो तो ठीक है पर मुझे दस नम्बर तो मिलेंगे ना ?"
जितना भी जाना, तुझको कम ही जाना,
बस, फूलों सा, था तुझको मुरझाना,
नित शीष चढ़े, पाँव तक फिसले,
पाँव तले, गए नित कुचले,
फिर भी, हौले से, यूँ मुस्काकर,
वशीभूत कर गए तुम!
चलते चलते अचानक
रास्ता बदल लोगे
तो भुलक्कड़ लगोगे।
दोस्तों को देखोगे
और मुँह फेर लोगे
हर पल तन्हा रहोगे।
...
बस
सादर
...
बस
सादर
शुभकामनाएं..
ReplyDeleteबढ़िया चयन
सादर..
वाहः
ReplyDeleteउम्दा संकलन
आभारी हूँ इस पटल का। मेरी रचना और मेरे परिवार की तस्वीर को पटल पर देखकर मैं आह्लादित हूँ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
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