Sunday, November 1, 2020

526 ..सिर्फ शिलान्यास से ही ताजमहल गिनीज़ बुक में नहीं आ जाता

सादर वन्दे
आज पहली तारीख है
रेडियो पर यह गीत हर माह बजता था कभी
रविवार भी है,जल्दी भी नहीं है

चलिए आज की रचनाएँ देखें
आपने आँख वाली जलेबी खाई है कभी
नहीं न आज खिलवाते हैं..


"अरे! वाह्ह.. ! हैलोवीन का बेस्ट घोस्ट बना लिया आपने..!" 
अपने चेहरे पर सोडियम वेपर लाइट की रौशनी बिखराती हुई 
उल्लास में उछलती हुई तनया ने ठहाके लगाते हुए आगे कहा,

-"पम्पकिन लाना सार्थक हो गया। इसका श्रेय मुझे जाता है।"
"हाँ! हाँ! क्यों नहीं..," व्यंग्यात्मक हँसी उछालता हुआ 


(पहचान कौन)
तनया के पति हितार्थ ने कहा,-
"सिर्फ शिलान्यास से ही 
ताजमहल गिनीज़ बुक में नहीं आ जाता..!


बित्तेभर विचारों का पुलिंदा और 
एक पुलकती क़लम लेकर
सोचने लगी थी
लिखकर पन्नों पर 
क्रांति ला सकती हूँ युगान्तकारी
पलट सकती हूँ
मनुष्य के मन के भाव
प्रकृति को प्रेमी-सा आलिंगन कर
जगा सकती हूँ 



उम्र भर की तलाश
अपना घर..
कितनी बार कहा-
ओ पागल!
यह तेरा अपना ही घर है
हक जताना तो सीख
समझती कहाँ है
समझ का दायरा बढ़ा
तभी से..
दादा का घर..नाना का घर..



लड़कियों की शिक्षा के मामले में 
हमारे देश में खूब विकास हुआ है ! 
लडकियाँ हवाई जहाज उड़ा रही हैं,
लडकियाँ फ़ौज में भर्ती हो रही हैं,  
लड़कियाँ स्पेस में जा रही हैं, 
लड़कियाँ डॉक्टर, इंजीनियर, 
प्राध्यापक, वैज्ञानिक सब बन रही हैं, 



समय बदला  बदले हैं सरोकार 
ऊँघते क़दमों की बदली है तक़दीर 
खेत-खलिहान से निकल धूल मिट्टी से सनी
आँखों ने बुने हैं स्वप्न रुपी संसार 
मेघाच्छादित गगन  गढ़ता है गरिमा 
तुम उत्साह उड़ान में भर सको तो देखो!



कोई नहीं जानता, क्या वे प्रमाण करना
चाहते हैं, किस देवता के सत्ता पर
है उन्हें विश्वास, या केवल
झूठी आत्म गौरव के
लिए असामयिक
प्रलय की
ओर
हैं अग्रसर, न जाने कौन सा भ्रमित - -
....
बस
सादर








 

6 comments:

  1. आभार दिबू..
    अच्छा चयन..
    सादर..

    ReplyDelete
  2. सुन्दर संकलन व प्रस्तुति - - मेरी रचना सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार - - नमन सह।

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन दिव्या जी।मेरे सृजन को स्थान देने हेतु सादर आभार।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर संकलन दिव्या जी । संकलन में मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार ।

    ReplyDelete
  5. जब बहुत कुछ कहना होता है तो अपने भावों को क्या शब्द दूँ उलझकर रह जाती हूँ और केवल स्नेह आशीष वन्दन शुभकामनाओं से काम चला लेती हूँ
    साधुवाद आपको

    ReplyDelete
  6. मुझे आने में विलम्ब हो गया ! क्षमाप्रार्थी हूँ ! आज के संकलन में बहुत ही सुन्दर सूत्रों का संयोजन ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिव्या जी ! सप्रेम वन्दे !

    ReplyDelete