Tuesday, November 10, 2020

535 ...आदमी को काम और पैसे चाहिए

सादर अभिवादन
चुनाव सम्पन्न
परिणाम आ रहे हैं
कोई खुश तो काई दुखी
सुख-दुख तो जीवन साथी है
कोई बखेड़ा नहीं हुआ अब तक
कल के अखबार से पता चलेगा
...
रचनाओं पर एक नज़र....



पहाड़ियों से बहती बयार;
मेरे तन-मन को छूकर
संगीत के साथ बहती है;
चढ़ाई-उतराई की पीड़ा को
कर्णप्रिय स्वरलहरी में बदलने हेतु
सक्षम है; अतः मेरे लिए विशेष है।





सुनो कलाकार,
गली-गली घूमकर 
चिल्लाने से क्या फ़ायदा,
यहाँ सभी बहरे हैं,
कोई नहीं ख़रीदेगा
तुम्हारा सामान,
कोई नहीं पहचानेगा 
तुम्हारा हुनर.





"सर आपने मुझे बुलाया?" 
अजुनी ने अपने बॉस मिस्टर चड्ढा के 
कैबिन में प्रवेश करते हुए उनसे पूछा। 
"अ.. हाँ.. आओ... और बताओ कैसा लग रहा है 
तुम्हें इस दफ़्तर में, आज पूरे डेढ़ महीने हो गए! 
मैंने अक्सर तुम्हें चुप- चुप ही देखा है... 
तुम्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी तो नहीं है न यहाँ ..



हां ! तलाकशुदा हूं मैं

निकली हूं जब से फ़रेब भरी महफ़िल से
हो गई, तुम सबसे जुदा हूं मैं 

कभी सब से जान पहचान थी मेरी 
फ़िलहाल अब तो गुमशुदा हूँ मैं



तुमने बेरोजगारी लिखी
वो किसी काम की नही
आदमी को काम और पैसे चाहिए
काग़ज पर छपी कविता नही
कहो काम दे सकते हो क्या?
...
इति शुभम्
सादर

2 comments:

  1. सुन्दर संकलन. मेरी कविता शामिल की. आभार.

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  2. आपकी मेहनत और प्रयास सराहनीय है ..जिज्ञासा की जिज्ञासा देखने के लिए और मेरी कविता शामिल करने के लिए आपका हृदय से आभार ..!

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