Saturday, November 7, 2020

532 ...पसंद आऊँ सबको ! पैसा थोड़ी हूँ मैं..!

सादर अभिवादन
हमारे सभी चर्चाकोरों को 
दीपावली का अवकाश दिया है
आराम से दीपावली और
और छठ मैय्या का पूजन-अर्चन करें

आइए चलें आज की रचनाओं की ओर
आज एक नए ब्लॉगर से परिचय
जिज्ञासा सिंह
जिज्ञासा की जिज्ञासा
इनका आत्मकथ्य कुछ यूँ है
अमर्त्य बनाने के लिये मानव मानस को कुछ 
सृजनात्मक और सारगर्भित कार्य करने चाहिए । 
उसी सन्दर्भ में कुछ रेखांकित करने का नव प्रयास है

आज की प्रस्तुतियां



पसंद आऊँ सबको ! पैसा थोड़ी हूँ मैं..! 
हांड़ मांस का टुकड़ा हूँ  ।
हर वक़्त का दुखड़़ा हूँ ।।
किच किच झेल रहा हूँ  ।
नियति के हाथों में खेल रहा हूँ ।।
कहने को मनुष्य का जन्म देकर ,
बड़ा उपकार किया उसने  ।
पर मृत्यु तक हमारी औकात ऐसी ,
हो जाती है अपनी ही नजरों में ।।  





जथा(धन)
अवृथा
साम्यावस्था
अजहत्स्वार्था
मिट जाए व्यथा
माता अहोई कथा।





गर्व और घमंड 
समानार्थक लगने वाले शब्द 
सार्थक होते ही 
चोटिल कर जाते हैं 
ये रिश्ते ...
गुल्लक में जमा धन की तरह होते हैं 
जिन्हें केवल ...
सहेजना होता है 
न तो भंजाना
न ही दर्प करना ।



बाज़ार, कहकशां के दोनों
तरफ़ हैं ख़रीदार, जो
चाहे ख़रीद लो
इसके पहले
कि ये
रौशनी का शहर सुबह से पहले यूँ
ही न मिटा दिया जाए, आख़री
पहर से पहले कोई उम्र
मेरी बढ़ा
जाए।





लक्ष्मी पूजन के
महापर्व को
सार्थक बनायें.
ससुरे से मांगें
नगद-नारायण.
न मिले लक्ष्मी  तो
गृह-लक्ष्मी को
होलिका बनायें.
दूसरी को खोजकर,
दीवाली मनायें..
....
इति शुभम
सादर






4 comments:

  1. दीपोत्सव के स्वागत का रंग बिखेरता सांध्य प्रदीप मुग्ध करता है - - मुझे जगह प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार, दीपावली की सभी को असंख्य शुभकामनाएं।

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  2. सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना...
    श्रम साध्य कार्य हेतु साधुवाद

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  3. "सांध्य दैनिक मुखरित मौन"में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ।
    सुखद अहसास कराने के लिए साधुवाद..!आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ..!

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