Wednesday, November 11, 2020

536 ...सुनो ! ये वाला पराठा थोड़ा करारा हो गया है

दीपावली को दो दिन और
अग्रिम शुभकामनाएँ
फिर 2020 का खात्मा
सभी साफ सफाई मे व्यस्त
कोई घर की कर रहा है
तो कोई फेसबुक की
आइए पिटारा खोलते हैं...




एक स्त्री 
दो पल सुख की ख़ातिर 
स्वयं के दर्द सहलाती है 
एक स्त्री ही हर बंधन में 
जकड़ी जाती है 
एक स्त्री ही अपने घर में 
पराई कहलाती  है 





दो ही गज की हो दूरी 
रक्षा करनी है पूरी 
सावधानी रखनी है 
मास्क भी लगाइये। 





अपनी भार्या के 
अपहरण-जनित वियोग में,
हे अवतार ! तुम रोते-बिलखते
उसकी ख़ोज में तो फ़ौरन भागे,

पर कितनी ही सधवाएँ
ताउम्र विधवा-सी तड़पती रही
और मीलों दूर वो "गिरमिटिया" भी,
फिर भी भला तुम क्यों नहीं जागे ?






पराठे सेंकते हुए वसु ने अवि को आते देखा तो 
वहीं से हँसते हुए बोल उठी ,
"सुनो ! ये वाला पराठा थोड़ा करारा हो गया है ,
तो मैंने उसको मोड़ दिया है । 
चुपचाप बिना देखे खा लेना ।" 





दुश्मनी जमके हमसे है ठाने
दोस्ती किससे है वही जाने

हमने दरियादिली नहीं देखी
खूब सुनते हैं उसके अ‍फ़साने

अंजुमन में सभी हैं अपने वहाँ
घर से बेदर हमीं हैं अनजाने





मीटिंग के बाद एक युवती होटल से बाहर आई। 
उसने अपनी कार की चाभियाँ तलाशीं 
लेकिन उसे नहीं मिली। 
वापस मीटिंग रूम में जाकर देखा, 
वहाँ भी नहीं थीं। 
-- 
अचानक उसे लगा कि, 
चाभियाँ शायद 
वो कार के इग्नीशन में ही 
लगी छोड़ आई थी। 
उसके पति बहुत बार उसकी 
इस आदत के लिए डाँट चुके थे।
....
बस..
सादर..



5 comments:

  1. बढ़िया चयन..
    आभार..
    सादर...

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  2. पहले आपको नमस्कार ! फिर आभार आज की अपनी प्रस्तुति में मेरी रचना/विचार को पिरोने के लिए ...

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  3. बहुत सुन्दर लिंक्स है प्रिय बहन आभार , आप सभी को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  4. उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन
    शुभकामनाएँ

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