Sunday, August 30, 2020

462 आठवें माह का तीसवां दिन...

सादर अभिवादन
माह का तीसवां दिन
यानि आठवां माह समाप्त होने को है
यानी चार माह बाद 2021 आ जाएगा
हुर्रे.....
अब चलें रचनाओं की ओर....

मन के किसी कौने में
लगी है  दुकान उलझनों की
मानों शहर के मैदान में
सजी है दुकाने पठाकों की |
कब विस्फोट हो जाए
किसी को  मालूम नहीं पड़ता


Key West, Florida, Hurricane Dennis
कल शाम तेज़ तूफ़ान आया,
भटकता रहा गलियों में,
चिल्लाता रहा ज़ोर-ज़ोर से,
पेड़ों को झकझोरता रहा 
काग़ज़ के टुकड़े उड़ाता रहा,
पीटता रहा दरवाज़े-खिड़कियाँ.


हृदय  की मेरी निश्चल भावना में,
तुम शाश्वत सत्य कल्पना मीत हो।

कभी उच्छृंखल बन झकझोरती,
कभी गुनगुनाती आक्रोश गीत हो।



आंसुओ को सिर्फ ,
दर्द हम कैसे कहे ,
कल तक जो अंदर रहे ,
वही आज दुनिया में बहे ,
सूखी सी जिंदगी से निकल ,
किसी सूखी जमी को ,
गीला कर गए ,
मन भारी भी होता रहा,


मिल आई पापा से अपने 
मुझको याद नहीं 
कब पापा संग में मेरे रहते थे, 
गोदी में कब खेली उनके 
कब उनसे मैं बोली थी, 
नील गगन में उड़ते पंछी 
मुझको भी संग ले ले तू 
तुझ संग उड़कर नील गगन में
...
आज बस
सादर


4 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल की. शुक्रिया

    ReplyDelete
  2. मेरी रचना को सम्मिलित करने हेतु असंख्य धन्यवाद - - संकलन और प्रस्तुति दोनों ही मुग्ध करते हैं - - नमन सह।

    ReplyDelete
  3. शानदार अंक |मेरी रचना को स्थान देनेके लिए बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी |

    ReplyDelete