Monday, August 24, 2020

456..आग के बीच में घिरी है मेरी बड़ी दीदी

ग़ज़ब की हिम्मती हैं
मेरी और उनकी बहनें
तीन गाड़ियों में
तीन सौ मील का सफर करके
आ ही गए...छोटे-छोटे बच्चों के साथ
चलिए हराया तो डर को
तनिक थक से गए थे
देखिए आज की रचनाएँ ....
आग के बीच में घिरी है मेरी बड़ी दीदी
ग़ज़ब की हिम्मती है....भारत में होती तो
पैदल ही चली आती पटना तक

वन में आग–
श्वेत श्याम में दिखे
अलूचा बाग।
और इस समय कैलिफोर्निया में आग फैली हुई है.. 
कई लाख एकड़ जल कर खत्म हो गए... 
पूरे शहर में धुएँ से 
सफेद और स्याह दिख रहा है।


Bhai-Chara-Brother-Hood
क्या गजब है देशप्रेम,
क्या स्वर्णिम इतिहास हमारा है
अजब-गजब कि मिलती मिशाले,
क्या अद्भुत भाईचारा है.


उँगलियों के नोक से कभी भीगे
कांच की खिड़कियों में मेरा
नाम लिखना, उड़ते
बादलों को मेरा
सलाम
कहना, मैं अभी भी हूँ शून्य में
तैरता हुआ, तुम्हें ग़र मिल
जाए सितारों का जहाँ,


हर सुबह करती हूँ एक प्रण
फेंककर आवरण
आलस्य का , 
करनी ही है पूरी
आज कोई कहानी
नई या पुरानी ..
या कुछ नहीं तो लिख ही डालूँ


हो आफताव या किसी का नूर हो
या जन्नत की कोई अजनबी हूर हो
तुम्हें देख कर जो निखार आता है चहरे पर
उससे मुंह फेर  मुकरा नहीं जा सकता
तुम तो सदाबहार गुलाब का पुष्प हो |

आज बस
कल की कल
सादर

3 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  2. असीम शुभकामनाओं व सस्नेहाशीष के संग हार्दिक आभार छोटी बहना

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  3. ह्रदय से आभार, सुन्दर प्रस्तुति - - नमन सह।

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