Wednesday, August 26, 2020

458..न गुनाह थमे हैं न चाँद पर बैठी बुढ़िया थकी है

सच तो है
एक दिन की जिद
सप्ताह खराब कर देती है
पर उस दिन को याद करते ही
सारा कष्ट बिसरा देती है..
ये तो पता चल गया की महामारी है ही नहीं कहीं


मानव अपनी लापरवाही से बीमारी को अपने
तन में आश्रय दे देता है..

और अपना नाम अखबारों में
छपवा लेता है..दो ही कॉलम होता है अखबार में
जिसमे ये खबर कव्हर की जाती है..
एक कोरोना पॉज़ेटिव्ह और दूसरा कोरोना से मृत्यु..
.

...
आज की पसंद देखें...

आज की पहली रचना फेसबुक से है
चाँद की देहरी पर ...निधि सक्सेना

बुनती रही चाँदनी
ओढ़ाती रही भीगी अनावृत रात को
करती रही उसकी हिफाज़त
अंधेरे के गुनाहगारों से..
यूँ निभाती रही
रात को सुरक्षा देने के
धरती से किये अपने सारे वादे..

शायद सुन रहे हो तुम - - शान्तनु सान्याल

तुम्हारे वादों में ख़ुदकुशी के सिवा कुछ
भी नहीं, मालूम है हमें मौत खड़ी
है दहलीज़ पे, फिर भी बाहर
तो निकलना ही पड़ेगा
जीने के लिए,
कोई नहीं
था


विरह ....सरिता शैल

मेरे वापसी के सफर में 
यातनाओं की वो गठरी 
आँखों के किनारे पर 
अपना साम्राज्य फैलाता 
वह संमदर 
और कुछ इस तरह से 
तुम्हारी बेवफाई की पीठ पर 
मै आज भी वफा लिखती हूँ


पनीर मोदक ..ज्योति देहलीवाल
पनीर मोदक (Paneer Modak recipe in hindi)
पनीर सेहत के लिए बहुत गुणकारी होता है क्योंकि पनीर में प्रचुर मात्रा में विटामिन डी, कैल्शियम और प्रोटीन होता है। गणेश जी में प्रसाद के रुप में जो मोदक बनता है यदि वो स्वाद के साथ-साथ हेल्दी भी हो, तो प्रसाद का मजा दोगुना हो जाता है। इसलिए आज मैं आपके साथ पनीर मोदक की रेसिपी शेयर कर रहीं हूँ... 

जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे.... रामधारी सिंह दिनकर

उद्देश्य जन्म का नहीं कीर्ति या धन है,
सुख नहीं धर्म भी नहीं, न तो दर्शन है,
विज्ञान ज्ञान बल नहीं, न तो चिन्तन है,
जीवन का अन्तिम ध्येय स्वयं जीवन है।


हम प्रेम-गीत गाते हैं ... सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

यूँ तो लोग कितने ही,दिल में आते-जाते हैं।
पर , कोई उनमें - से , दिल में बस जाते हैं।

दिल एक मंदिर है, जिसमें एक मूरत है।
मन-मंदिर में रखकर,हम उसे  रिझाते हैं।

दिल एक दर्पण है, जिसमें एक सूरत है,
पास जाकर उसके,हम प्रेम-गीत गाते हैं।
....
आज बस..
सादर





6 comments:

  1. आभार दिबू..
    सादर..

    ReplyDelete
  2. वाह बेहतरीन प्रस्तुति। सराहनीय

    ReplyDelete
  3. दिल की गहराइयों से शुक्रिया - - नमन सह।

    ReplyDelete
  4. उम्दा प्रस्तूति। मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,दिव्या दी।

    ReplyDelete
  5. खूबसूरत प्रस्तुति ।

    ReplyDelete