Saturday, August 29, 2020

461..मन की शान्ति किसी दुकान पर नहीं मिलती

सादर अभिवादन
बारिश हो रही है
कालोनिया डूब रही है
झिल्लियों से नालियां जाम है
गलतियां मानव की और दोष सरकार पर
यही नीति है
आज का आगाज़ एक नए ब्लॉग से
आलोक सिन्हा की सुरभि
आंसुओं के घर शमाँ रात भर नहीं जलती ,
आंधियां हों तो कली डाल पर नहीं खिलती | 
धन से हर चीज पाने की सोचने वालो , 
मन की शान्ति किसी दुकान पर नहीं मिलती | 

हर दिन 
एक वादा..
कभी न तोड़ने के लिए
और…,
अगले ही दिन
एक विमर्श..
उसे तोड़ने के लिए


मुझे मलाल है की 
मैं बुलंदियों को छू ना पाई
पर ये तस्सली भी है
कि जितना कुछ
हासिल किया अपने दम
पर हासिल किया
कभी किसी का सीढ़ी
की तरह इस्तेमाल नहीं किया


सरयू तट~
मास्क पहने सन्त
भू-पूजन में

पहाड़ी खेत~
पटेला में बालक 
को खींचें बैल

सब कुछ ठीक ही है - - शान्तनु सान्याल

यूँ तो सब कुछ ठीक ही है फिर
भी उनकी आँखों में कहीं,
इक ख़ौफ़ सा है खो
जाने का, मैं
चाहता
हूँ

अब बस
कल फिर
सादर



6 comments:

  1. मुक्तक को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में प्रकाशित करने के लिए बहुत बहुत आभार |

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  2. सुन्दर रचनाओं से सजा संकलन ।सांध्य दैनिक में सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार यशोदा जी ।

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  3. लाजवाब सांध्य मुखरित मौन प्रस्तुति उम्दा लिंक्स
    मेरे हायकु को यहाँँ स्थान देने हेतु तहेदिल से शुक्रिया एवं आभार।

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  4. आदरणीय आलोक जी के मधुर आगमन सेसुसज्जित सुंदरम अंक आदरणीय दीदी। बहुत बहुत आभार आपका। आलोक जी के ब्लॉग जगत में प्रवेश सेब्लॉग जगत की शोभा बढ़ी है। उनका मार्मिक लेखन दिल को छु जाता है।शब्द नगरी से उनसे परिचित हूँ। मेरा सौभाग्य उनके आशीर्वाद स्वरूप उनके प्रेरक शब्द मेरी रचनाओं के लिए मुझे हमेशा मिले हैं। सभी गुणीजनों से अनुरोध है, कि उनके ब्लॉग को फॉलो जरूर करें सरस रचनाओं का आनंद लें। आज के सभी लिंक बहुत सुंदर हैं। 🙏🙏🙏🙏

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  5. हार्दिक अभिनंदन आदरणीय आलोक जी। सरस्वतीसुता यशोदा दीदी द्वारा आपके ब्लॉग का शुभ मुहूर्त संपन्न हुआ। आपकी लेखनी सभी काव्य रसिकों को आनंदित करती रहे, मेरी यही कामना है। सादर प्रणाम और अभिनंदन। 🙏🙏🌹🌹🙏🙏

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  6. सुन्दर संकलन व प्रस्तुति - - मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार, नमन सह।

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