Sunday, March 29, 2020

309...बच्चों की जेल से बच्चे फरार हो गये हैं

आज हमने ठान लिया है
कोरोना पर लिक्खी एक भी रचना नहीं लेंगे
कान पक गए है सुनते-सुनते
सादर अभिवादन..

कोरोना रहित रचनाएँ..
सच कहती हो,खूब कहो !
शर्मिंदा हूँ निज कर्मों से......
वंश वृद्धि और पुत्र मोह में
उलझा था मिथ्या भ्रमों से

फिर भी धन्य हुआ जीवन मेरा
जो पिता हूँ मैं भी बेटी का
बेटी नहीं बोझ न पराया धन
वह तो टुकड़ा अपने दिल का !!


तुम साथ होती हो तो
आसमान झुक कर
करीब आ जाता है

काँधे से सटकर
बैठ जाती हैं उम्मीदें


कुफ्र .....अमृता प्रीतम
आज हमने एक दुनिया बेची
और एक दीन ख़रीद लिया
हमने कुफ़्र की बात की

सपनों का एक थान बुना था
एक गज़ कपड़ा फाड़ लिया
और उम्र की चोली सी ली

रसात्मिका: 2011
तन कठपुतली सा रहा
थामे दूजा डोर ,
सूत्रधार बदला किये
पकड़ काठ की छोर
मर्यादा घूँघट ओढ़ती
सहे कुटिल आघात
इत उत वो नित डोलती
लेकर झंझावात।


रक्तदान - विकिपीडिया
भीड़-भड़क्का देखकर एक युवा दस्ता इस ओर बढ़ा। वे सब के सब नये थे, और इस युवक जैसे ही तेजस्वी भी। उन्होंने युवक की बात की पुष्टि करते हुए बताया कि वे सब एक साथ यहाँ पहुँचे हैं।

भीड़ ने उनका विश्वास नहीं किया। डॉक्टरों द्वारा एक भिन्न शरीर से निकालकर इस नये शरीर में पहुँचाई गयी नई रक्त कोशिकाएँ तो बेचारी खुद ही रक्तदान का रहस्य समझ नहीं सकी थीं, अन्य कोशिकाओं को कैसे समझातीं?   


बच्चों
की 
जेल से

बच्चे 
फरार 
हो गये हैं 

ऐसा 
खबरची 
खबर ले कर 
आज आया है 

देख लेना
चाहिये 
कहीं

उसी
झाडू‌ वाले
ने
फर्जी 
मतदान करने 
तो
नहीं बुलाया है 
....
आज बस
कल फिर
सादर

6 comments:

  1. अभी पूरे नहीं पके हैं प्रेशर कूकर की सीटी तो आने देते। आभार।

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  2. आ0 रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
    आपने कोरोना लेने को मना किया ,और मैंने भी सात दिनों से प्रण कि कोरोना पर नहीं लिखेंगे
    सादर

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  3. बहुत ही सुन्दर मुखरित मौन...उम्दा रचनाएं..
    मेरी रचना को मेरी धरोहर से यहाँ तक स्थान देने हेतु धन्यवाद।

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  4. वाह!बहुत खूबसूरत मुखरित मौन !

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