Sunday, March 8, 2020

288..हम महिलायें खुद ही खुद की कद्र नहीं करती!

एक वीडियो गूगल द्वारा
सादर अभिवादन
आज देखे जितने भी हैं सब बधाइयाँ दिए जा रहे है
बस आज, ज़ियादा से ज़ियादा कल भी
फिर भूल जाएँगे एक वर्ष के लिए
चलिए इतिहास की ओर चलें...

...
:अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस :: 
इतिहास के झरोखों से
हर साल हम 8 मार्च को विश्व की प्रत्ये‍क महिला के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं। लेकिन महिला दिवस मनाए जाने का इतिहास हर कोई नहीं जानता। 


दरअसल इतिहास के अनुसार समानाधिकार की यह लड़ाई आम महिलाओं द्वारा शुरू की गई थी। प्राचीन ग्रीस में लीसिसट्राटा नाम की एक महिला ने फ्रेंच क्रांति के दौरान युद्ध समाप्ति की मांग रखते हुए इस आंदोलन की शुरूआत की, फारसी महिलाओं के एक समूह ने वरसेल्स में इस दिन एक मोर्चा निकाला, इस मोर्चे का उद्देश्य युद्ध की वजह से महिलाओं पर बढ़ते हुए अत्याचार को रोकना था।
और भी बहुत है इतिहास में..
कहानी में, कविताओं में, वीरता में,विज्ञान में, राजनीति में
हर जगह विद्यमान है महिला...पुरुषों की जननी है वो
लिखते रहूँगी तो पन्ना भर जाएगा, बस करते हैं अब....

सद्य प्रकाशित रचनाओं की ओर चलते हैं..

शुरुआत मेरी ही लिखी पंक्तियों से

धैर्य का पल्लवन है वो
स्नेह और प्यार का
अतुल कोश है उसके पास
कितना भी लिखूँ 
स्त्रियों को
क़लम के दायरे से
उफ़नकर
बह ही जाती हैं।

महिलाओं को खुद की कद्र करना होगा

महिला दिवस पर हर महिला की अपेक्षा होती हैं सभी लोग उसे सम्मान दे और उसकी कद्र करें! लेकिन होता ये हैं कि हम महिलायें खुद ही खुद की कद्र नहीं करती! यदि हम खुद ही खुद की कद्र नहीं करेंगी तो बाकि लोग हमारी कद्र क्यों करेंगे?


बराबर रहें..साथ रहें..

हमारा दिन तो रोज ही होता है, 
आज का दिन बस 
उस रोज में से 
कुछ लम्हे चुरा कर 
उसे सेलिब्रेट करने का है, 
अंतर्मन में झांकने का कि - 
मैं जो भी कर रही हूँ, 
वह ठीक है न! 
सही है न!


नारी ईश की अद्भुत कृति

नारी ईश की अद्भुत कृति
पल में ही वो वंदित होती
क्षण में ही वो कामना पूर्ति
नारी ईश की अद्भुत कृति....
सुख विभावरी की छलना सी
सुरभित अंचल की गरिमा सी
शीतल झरनों की अनुभूति


नारी तुझसे ये संसार ...
नारी दुर्गा का अवतार 
शक्ति जिसमें असीम अपार , 

नारी शारदा स्वरूप 
बहाये प्रेम दया की धार , 

नारी लक्ष्मी का ले अवतार 
चलाये संयम से घर संसार , 

हे जगजननी कष्ट निवारिणी 
हाथ तेरे अन्नपूर्णा का भंडार ,


30 वर्ष की क्षमा उर्मिला
कई हड्डियां टूटने के बाद
80 ऑपरेशन झेलकर
अपना हौसला नहीं खोया
आज रायपुर सिटी भास्कर ने
परिचित करवाया
देखिए उनकी उकेरी एक  पेंटिंग
शीर्षक दिया है



आज के लिए बस
आज का दिन विस्मरण कर
फिर नए दिन में मिलते हैं
सादर









7 comments:

  1. बहुत सुंदर और सार्थक संकलन।

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  2. हर एक चीज तारीफे काबिल ,पेंटिंग तो कमाल की है ,सबने बहुत सुंदर लिखा भी है ,सभी को बधाई ,मेरी रचना को शामिल किया ,इसके लिए यशोदा जी आपकी हृदय से आभारी हूँ ,धन्यवाद

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  3. मंगलकामनाएं महिला दिवस पर।

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  4. बहुत बढ़ियां प्रस्तुति महिला दिवस पर, बहुत बहुत धन्यवाद

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  5. सुंदर संकलन। मेरी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।

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  6. सदा खुश रहें उल्लसित रहें हौसलामयी रहें

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  7. बहुत अच्छा लगा यहाँ आना ..

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