Saturday, March 7, 2020

287..नारीवाद का संबंध नारी शक्ति को लेकर दुनिया के दृष्टिकोण को बदलने से है

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की 
पूर्व संध्या पर आप सभी को नमन
आज की शुरुआत 
मेरी कलम से प्रसवित कुछ
पंक्तियों से..
गिन नहीं पाएँगे आप
कितनों के निशाने पर रहती है स्त्री
हारी नहीं फिर भी
रहती है हरदम झूझती
कभी हंसकर..तो
कभी खामोशी से
या फिर करके विद्रोह..
..
अब महिला दिवस से 
ओत-प्रोत कुछ रचनाएँ

अकेली औरतें अकेली कहाँ होती हैं,  
घिरी होती हैं वे ज़िम्मेदारियों से, 
गिरती-उठती स्वयं ही सँजोती हैं आत्मबल,   
भूल जाती हैं तीज-त्योहार पर संवरना। 


आँगन में तुलसी का बिरवा
सुबह उठते ही जल चढ़ाती उस पर  
दिया लगाती अगर बत्ती जलाती
उसकी सुगंध से महकाती परिसर |
है वह गृहणी इस घर की
घर के लोगों की सम्रद्धि के लिए
करती यथा संभव  सभी यत्न


ये खामोश, मूक औरतें
ख्वाहिशों का बोझ ढोते
सदियों से वर्जनाओं मे जकड़ी
परम्पराओं और रुढियों
की बेड़ियों मे बंधी
नित नए इम्तिहान से गुजरती
हर पल  कसौटियों पर परखी जाती


Fry, Potatoes, Pan, Cook, Oil, Boil
सिंक में पड़ी कड़ाही को
साफ़ करते हुए वह सोचती है 
कि वह भी कड़ाही जैसी ही है,
आग पर चढ़ाई जाती है,
फिर उतारी जाती है,
...
आज बस
कल फिर
सादर


4 comments:

  1. व्वाहहहहहह..
    सादर शुभकामनाएँ..
    सादर..

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  2. बहुत ही सुंदर भूमिका आदरणीया दीदी. औरत के अनेकों रूपों से सजी आज की प्रस्तुति सराहना से परे है. गागर में सागर कहे कम ही होगा. मेरी रचना को स्थान देने हेतु सहृदय आभार आपका.
    सादर स्नेह

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  3. सुन्दर संकलन. मेरी कविता को शामिल किया. धन्यवाद.

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  4. सुन्दर संकलन से सजा आज का अंक |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद यशोदा जी |

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