सादर अभिवादन
कल शाम का नज़ारा
उल्हास से भरा था...
लग रहा था कि
भारत फिर एक हो गया है
सादर नमन
भारत फिर एक हो गया है
सादर नमन
सभी चिकित्सकों और परिचारकों को
चलिए चलें आज की रचनाओं की ओर...
चलिए चलें आज की रचनाओं की ओर...
पूरे दिन की नीरवता
और गोधूलि से पूर्व
मंदिरों की सांध्य आरती सी
घंटे ,शंख और थाली की
गूंज….,
बालकॉनी रुपी आंगन और छत से
झांकते चेहरे हाथों में थामें
प्लेटें-चम्मच
और बजाते तालियां
अचानक ऊँची ऊँची इमारतें
बन गई गंगा घाट..
बंधी, दो किनारों से,
कहती रही, उच्छृंखल तेज धारों से,
हो मेरे, श्रृंगार तुम ही,
ना, कभी कम,
तुम, ये धार करना,
उमर भर, साथ बहना,
संग-संग,
बहूंगी, प्रवाह बन
कहाँ मिला ,
इंसाफ़,आधा-अधूरा रहा .
छूट गया
सबसे पातकी गुनहगार,
उढ़ा दी पापियों ने
भेड़िये को भेड़ की खाल,
और छुट्टा छोड़ दिया -
फिर-फिर घात लगाने के लिए.
5 बजे का समय करीब 4.45 हो गया
तय 5 मिनट 15-20 मिनट में बदल गए
बोझिल वातावरण बड़ी ही प्रसन्नता और आशा से भर उठा
मोदी जी ने धन्यवाद के साथ
एक प्राचीन परम्परा का निर्वहन भी करा दिया
लोगो ने 'कोरोना लड़ाकों' को
खुले मन से साधुवाद किया
किससे कहें किसको सुने
सभी खुद को समझते
बहुत सिद्धहस्त विद्वान
उनसा कोई नहीं है
खुद को सर्वोपरी जान
कुछ अलग विचार रखते हैं
सादर आभार यशोदा जी शीर्षक हेतु मेरी रचना की पंक्तियों को मान देने के लिए 🙏 सभी स्वस्थ रहें इसी कामना के साथ पुनः सादर आभार ।
ReplyDeleteव्वाहहहह..
ReplyDeleteबेहतरीन...
सादर...
और आदरणीया मीना जी इह गूंज मे मेरी नदी भी बहाने हेतु सादर आभार ।
ReplyDeleteआदरणीया प्रतिभा जी की आधा अधूरा इंसाफ प्रभावशाली रचना है, जो मंच की प्रस्तुति को सार्थकता प्रदान करती है।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ।
लाजबाव प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसुन्दर अंक आदरणीय दीदी , कल का दृश्य अविस्मरनीय और नयाभिराम रहा | कोरोना योद्धाओं को देश का ये कृतज्ञ नमन बहुत ही विशेष घटना है | यहाँ मानों समस्त देश एक रंग में रंग गया | पर इसी बीच सीमा के 16 जवानों की शा शहादत मन को व्यथित कर गयी | मानवता के हत्यारे छद्मघाती शत्रु को धिक्कार है | सभी शहीदों को अश्रुपूरित नमन | देश के लिए फांसी का फंदा चूम कर जान लुटाने वाले आजादी के परवानो . शहीदेआज़म भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव को उनकी शहीदी दिवस पर कोटि नमन |
ReplyDeleteकृपया नयनाभिराम पढ़ें 🙏🙏
Deleteअंक बहुत रुचिकर रहा - बधाई, यशोदा जी .
ReplyDeleteमीना जी के ब्लाग पर यह टिप्पणी देना चाहती थी (दो बार प्रयत्न किया नहीं सफल हुई)-
यह दृष्य अभिभूत कर देता है -अपने लोग सुरक्षित रहें!
सुन्दर अंक |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद यशोदा जी |
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
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