Thursday, December 19, 2019

210...कि दाग अच्छे होते हैं

सादर अभिवादन..
एक शिकायत भाई सुशील जी से
ब्लॉग उलूक टाईम्स
की सेटिंग गड़बड़ा  गई है
खुलने में देर करता है
निवेदन...ठीक करें

चलें आज की रचनाओं की ओर....

जून आ गए हैं, दोपहर को योग अभ्यास करने के बाद बच्चे चित्र बना रहे थे, तभी वह आये. हमेशा की तरह फल व मेवे लाये हैं. कल शाम को जे कृष्णामूर्ति को सुना, उनके भीतर मन नाम की कोई स्थायी सत्ता नहीं है.  मन यानि सोचना, सोचना एक विचार है और सोचने वाला भी एक विचार है. वे शुद्ध, बुद्ध, मुक्त आत्मा हैं जिसे कुछ भी छू नहीं सकता. भीतर स्थिरता बढ़ गयी है.


दया का दूजा पाठ रे प्यारे,
प्राणि जन पर दया करो।
निर्दयता को दूर भगाकर,
प्रेम परस्पर सदा करो।
सबसे बढ़कर प्रेम दान है,
तुझे भी मिलता जाएगा


नहीं डर किसी का आज
नहीं भय किसी का आज
नहीं डर किसी का आज के दिन
हो-हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
नहीं डर किसी का आज के दिन


मेरे तन पे लिपटा दुपट्टा हरा ये
दुपट्टे में उलझी ,दुआएँ तुम्हारी!

मैं तन्हा खड़ी हूँ, किसी ने पुकारा
यूँ हौले से आती सदाएँ तुम्हारी!


कल्पना शक्ति का जामा पहना
शब्दों से कागज पर उकेरते
लहू की स्याही से लिखते..
श्रोताओं  और पाठकों के
दिल के तारों को झंकृत कर
उसी विरह अग्नि  में तड़पाते
नायिका के सौंदर्य रस में डुबाते
शहीदों की गाथा लिख क्रांति और चेतना लाते ,
वही शायर बन पाते ।

उलूक टाईम्स की ताजा खबर

सब कुछ
साफ सफेद
का
कारोबार

करने वाले
ही
पूछे जाते हैं
हर जगह

जरूरी
भी हो जाता है 

.....
आज बस इतना ही
सादर





7 comments:

  1. वाह -बहुत बढ़िया ।
    सुंदर रचनाओं का संकलन।
    सभी रचनाएँ काफी सुंदर और सराहनीय।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  2. कुछ ले दे के ब्लॉग से सेटिंग करने की कोशिश करता हूँ फिर वैसे मैंने कुछ किया नहीं है :) आभारी हूँ यशोदा जी फिर भी आपने जगह दी ।

    ReplyDelete
  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  4. व्वाहहहह..
    अच्छा चयन..
    सादर..

    ReplyDelete
  5. बेहतरीन प्रस्तुति ,सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं ,हाँ दी ,सुशील सर का ब्लॉग जल्दी नहीं खुल रहा हैं। सादर नमस्कार

    ReplyDelete
  6. शानदार सांध्य दैनिक।
    सुंदर रचनाओं का संगम सभी रचनाकारों को बधाई।

    ReplyDelete
  7. सुंदर रचनाओं का संकलन।

    ReplyDelete