Saturday, April 17, 2021

694....आशा का दामन छोड़ो न

सांध्य दैनिक के 
शनिवारीय अंक में आप सभी का
स्नेहिल अभिवादन।
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 सब्र
अन्धियारा, छा जाने तक,
चल, बुझता इक दीप, जला लें हम,
यूँ ही, घबराने की बातें, 
अब और करो ना!

यूँ ही, आशा का दामन छोड़ो ना!
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टेलीविजन आँसुओं,सिसकियों का सागर दिखाता है।
आशाओं का महल खण्डहर सा बिखरने लगता है।।
शाम आती चली जाती मिलने को हर दिल तरसता है।
कहां वो दोस्ते कहाँ वो महफ़िल अब सपना सा लगता है।।

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चलो, मैंने फ़ैसला कर लिया है,
फूल भी गिरा दूंगा एक-एक करके,
बिल्कुल ठूँठ बन जाऊंगा,
तब तुम देखना मेरी ओर,
हैरानी,दया या हिक़ारत से,
पर मेरी अनदेखी मत करना. 
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जिंदगी हराने का नाम नहीं है
जिंदगी लड़ने का नाम है
चाहे  कुछ भी हो जाये
तुम खुश रहोगे
तुम्हारी पहचान तुम्हारा हसमुख स्वाभाव है
तुम नहीं तो कुछ नही नहीं है
सारी  खुशिया तुमसे ही है

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मन ने मीत बना कर तुमको पाया कुछ भी सार नहीं है
तड़फाते हो, तरसाते हो, फिर भी तुमसे रार नहीं है
  जिसने तुमको मीत कहा है
    उससे कुछ तो प्रीत निभाओ
       तन को तो मैं....



7 comments:

  1. आदरणीया मैम,
    बहुत सुंदर विविध भावों और विचारों से भरी हुई प्रस्तुति। हर एक रचना बहुत सुंदर और अनंदकर है। आज आपको सक्रिय देख कर अच्छा लग रहा है।
    हृदय से अत्यंत आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिए और आप सबों को प्रणाम।

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  2. शुभ संध्या,
    बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया श्वेता जी। मेरी रचना से शीर्षक चयन हेतु आभारी हूँ।

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  3. सुंदर लिंकों का चयन एवं शानदार प्रस्तुति,सादर शुभकामनाएँ।

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  4. सभी लिंक्स बहुत शानदार हैं ।खुशनुमा शहर में सेमल के फूल कहाँ ? ज़िन्दगी से प्यार है तो सब्र करो , तन को तो समझा लूँगी । विष्णु बैरागी जी की कविता बहुत अच्छी लगी । सस्नेह

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    1. यह कविता मेरी नहीं, मेरे बडे भाई साहब, स्‍वर्गीय श्रीबालकवि बैरागी की हैा'दरद दीवानी' उनका पहला काव्‍य संग्रह था। मैं इस संग्रह की सारी कविताऍं एक के बाद एक दे रहा हूँ। यहॉं दी गई लिंक में स्थिति स्‍पष्‍ट हो जाएगी। आपकी टिप्‍पणी से अनुभव कर रहा हूँ कि प्रत्‍येक कविता के साथ मुझे दादा का नाम देना चाहिए। जल्‍दी ही यह सुधार कर रहा हूँ।

      http://akoham.blogspot.com/2021/04/blog-post_16.html

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  5. सभी रचनाएं बहुत शानदार सुन्दर हैं।हमारी रचना को इस मंच पर शामिल करने के लिये श्वेता जी का बहु बहुत आभार।

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  6. सुंदर प्रस्तुति. मेरी रचना को शामिल करने के लिये आभार।

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