Friday, April 16, 2021

693...उम्मीद

सांध्य मुखरित मौन.के
आज के अंक में आपसभी का
स्नेहिल अभिवादन
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उम्मीद से बढ़कर कोई दवा नहीं
निराश मन के लिए इसलिए-

इन सारी हुज्ज़तों से परे
एक शांत जहां अपना भी होगा
अभी तो ये दुनिया बेगानी सी लगती है
पर उम्मीद है, एक दिन इस धरती के साथ
ये अंतहीन आसमां भी अपना होगा .......
बात– बात पर लोग न जाने क्यों रूठने लगते हैं
छोटी छोटी मुसीबतों से हारकर टूटने लगते हैं
क्या खुदा पर से अब विश्वास हट गया है ?
या फिर हम खुद को पहचानना भूल गये हैं .
दिल रोता है तो क्या हुआ ??
सिने में छिपे दर्द के समंदर को छिपा तो लेता हूँ
लब्ज़ अब साथ नही देते हमारा, तो क्या हुआ ?
तो क्या हुआ ? ,कि हमारे नैन अब मुस्कुराना भूल गये हैं
उम्मीद है फिर भी वो दिन ज़रूर आएगा
जब खुशियों की बरसात होगी
आंसू तो अब भी निकलते है, तब भी निकलेंगें
बकायदा फर्क सिर्फ इतना होगा कि अब आते है तो
सिने में बोझ डाल जाते हैं, जीने की उम्मीद तोड़ जाते हैं
पर तब आयेंगें तो , जीने की वजहें छोड़ जायेंगें ........
कभी कभार सोंचता हूँ कि
आखिर इतनी अबूझ सी पहेली क्यों है ये ज़िन्दगी
जीना चाहता हूँ तो, रुख मोड़ लेती है
मरना चाहता हूँ तो, सौ तरह की चिंताएं जोड़ जाती है
बहुत अजीब सी एहसास देती है, ज़िन्दगी
कभी इस बुद्धू मन को उम्मीदों से भर देती है
तो कभी ह्रदय को छलनी छलनी कर देती है ....
अब तक तो इसको समझ पाने में नाकाम ही रहा हूँ
बहुत कोशिश की ज़िन्दगी के फितरतों से पार पाने की
पर लगता है किसी अनजान रास्ते में बढ़े जा रहा हूँ
बहरहाल उम्मीदों का सिलसिला चलता रहेगा
मंजिल मिले न मिले ,हौसला मिलता रहेगा .....

आदित्य शर्मा, दुमका

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पता नहीं कब तक यशोदा दी की ज़िम्मेदारी निभा पायेंगे।

7 comments:

  1. आदरनिया मैम,
    बहुत ही सुंदर आशान्वित करती हुई प्रस्तुति। अत्यंत सशक्त मन में प्रेरणा जगाती हुई रचना। बस दो-तीन दिन और फिर हमारी आदरनिया यशोदा मैम अपनी प्रस्तुति लेकर हमारे बीच होंगी । पुनः बहुत सारी प्रार्थनाओं के साथ हार्दिक आभार व आप सबों को प्रणाम ।

    । नासे रोग हरे सब पीड़ा
    जपत निरंतर हनुमत बीरा।

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    1. प्यारी अनंता,
      तुम्हें क्या कहूँ...बस मेरा खूब सारा स्नेह और आशीष।

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    2. यही तो चाहिए आजीवन।

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  2. प्रिय श्वेता जी, इस समय हर तरफ से निराशा की खबरें आ रही हैं,इसलिए थोड़ी घबराहट होना स्वाभाविक है,परंतु आप धैर्य बनाए रखें, हम सब आपके साथ हैं,और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं, कि यशोदा दीदी जल्द से जल्द स्वस्थ हों और हमारे बीच फिर से अपनी सुंदर प्रस्तुति दें,उनके लिए फिर से एक बार असंख्य शुभकामनाएं । सुंदर प्रस्तुति के लिए आपका आभार ।

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    1. प्रिय जिज्ञासा जी,
      आपकी सहृदयता और स्नेह और प्रार्थना असर कर गयी यशोदा दी पहले से थोड़ी ठीक है अब।
      मन से आभारी हूँ।🙏

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  3. यशोदा जी शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ होकर पुनः पुष्पगुच्छ से संकलन बनाकर ब्लॉग जगत के रचनाकारों का उत्साहवर्धन करें यही कामना है।

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    1. जी दी आपका स्नेह अमूल्य है।
      आपका संदेश पढ़कर मन भावविह्वल है।
      दी अब ज़रा सी ठीक हैं।
      🙏

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