सादर वन्दे
एक सप्ताह का अवकाश
आज आदरणीय संगीती दीदी की प्रस्तुति पढ़ी
एक रचना उठा लाई हूँ
नए जमाने के लोग बच्चों के सामने
उल्टी-सीधी हरकत करते हैं...
(मैं भी उनमें शामिल हूँ)
बच्चों पर उसका असर होता है
कथा पुरानी है पर आज भी मुफीद है
आइए चलें....
प्रथम प्रस्तुति
“अरे ऐसे नहीं। तुम्हें तो माँ प्यार करना भी नहीं आता।
रौनक की तरह गालों को नहीं मेरे होंठों पर प्यार करो। ”
“क्या--?वह चौंक पड़ी। लगा जैसे गरम तवे पर हाथ दिया।
“यह रौनक कौन है?”
उसने राधिका को पकड़कर बुरी तरह झिंझोड़ डाला।
“माँ का यह रूप देख राधिका सहम गई। वह समझ न सकी
लाड़-दुलार करते -करते माँ को एक पल में क्या हो गया!
पत्नी की ऊंची आवाज सुन उसके पापा भी कमरे से बाहर निकल आए।
राधिका उनके पीछे जा छिपी।
जाने कितने बहरूपियों से होती है भेंट
उनके पाखंड की अनुभूति होते हुए भी,
करता हूँ उनको सहृदय स्वीकार मैं
यूँ के मैं ही नहीं हूँ सच का पुतला,
मैं ही नहीं हूँ अकेला रोशनी का चिराग़
पकड़ छोड़ें, जकड़ छोड़ें
भीत सारी आज तोड़ें,
बन्द है जो निर्झरी सी
प्रीत की वह धार छोड़ें
आयुर्वेदोक्त रोगप्रतिरोध क्षमता वह शक्ति है जो किसी माइक्रॉब को हमारे शरीर में प्रवेश करने, मल्टीप्लाय होने और किसी पैथोलॉज़िकल प्रक्रिया के प्रारम्भ होने की प्रतिकूल स्थितियों का निर्माण करती है । दूसरे शब्दों में कहें तो यह वह शक्ति है जो कोशिका के इन्टर्नल और एक्स्टर्नल इनवायर्नमेंट को माइक्रॉब्स की आवश्यकताओं के विरुद्ध मोडीफ़ाय करने का प्रयास करती है जिससे रोग उत्पन्न ही नहीं हो सके । वैक्सीनेशन से उत्पन्न इम्यूनिटी वह क्षमता है जो शरीर में प्रवेश कर चुके माइक्रॉब्स को पहचान कर उस पर आक्रमण करने के लिये शरीर को तैयार करती है । इस दृष्टि से देखा जाय तो आयुर्वेदोक्त रोगप्रतिरोध क्षमता की कार्यप्रणाली डिफ़ेंसिव होती है जबकि वैक्सीन इंड्यूस्ड इम्यूनिटी की कार्यप्रणाली एग्रेसिव ।
रोगप्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिये आयुर्वेदिक औषधियों में गो-घृत, स्वर्णभस्म, मधु, यशद (Zinc), अश्वगंधा, आँवला, श्वेत मूसली, पिप्पली, हल्दी, लौंग, कालीमिर्च, सोंठ, दालचीनी, चक्रफूल (Star anise) आदि का सदियों से उपयोग किया जाता रहा है । आदर्श स्थिति में इन औषधियों के सेवन करने से कोई साइड इफ़ेक्ट्स नहीं होते ।
फूलों की देह
पर
जंगली
सुगंध के निशान
उभरे हुए हैं।
प्रेम का जंगल
हो जाना
सभ्यता
को
ललकारना नहीं है।
....
बस
सादर
बस
सादर
अब आप काफी से अधिक सुधर गई हैं
ReplyDeleteलगाम ज़रूरी है..
शानदार.. आयुर्वेद पर आलेख पसंद आया
आभार ..
प्रतिदिन आ जाया करिए..
सादर..
बहुत अच्छा अंक...। सभी रचनाएं अच्छी हैं...। बधाई आपको....।
ReplyDeleteलाजबाव रचनाएं
ReplyDeleteसुंदर अंक ,लाजवाब रचनाएं । शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteदिव्या जी , बेहतरीन लिंक्स संकलित किये । शुक्रित
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