सादर अभिवादन
दशहरा गया..
प्रतीक्षा कीजिए
एक वर्ष नए दशहरे के लिए
गया है तो आएगा ही..
कुछ रचनाएँ भी देख लें....
कुछ रचनाएँ भी देख लें....
गाड़ी रूकती नज़र नहीं आती
छींक वक़्ते सफ़र नहीं आती
जूता बाटा का अब चले कैसे
पहले सी वो रबर नहीं आती
आँख में जब से उतरा मोतिया
कोई सूरत नज़र नहीं आती
आंवले को हर मर्ज की दवा माना जाता हैं। इसलिए ही आंवले को
अमृतफल कहा जाता हैं। आंवला हमारे दाँतों और मसूड़ों को
स्वस्थ और मजबूत बनाता हैं। स्नायु रोग, हृदय की बेचैनी,
मोटापा, ब्लडप्रेशर, गर्भाशय दुर्बलता, नपुंसकता, चर्मरोग,
मूत्ररोग एवं हड्डियों आदि रोगों में आंवला बहुत ही उपयोगी होता हैं।
ऐसे उपयोगी आंवले से आज हम बनायेंगे आंवला मुरब्बा।
ये मुरब्बा हम पारंपरिक तरीके से न बनाकर
आंवले को कद्दुकस कर के बनायेंगे।
तुम भ्रम हो या भ्रमर पता नहीं
तुम राग हो या समर पता नहीं
तुम बिंब हो प्रतिबिंब हो पता नहीं
तूफानों में जो जल सके वो चिराग लाओ
हरसू अंधेरा ही अंधेरा है उजाले लाओ !!
मजहब के छालों से जख़्मी तन मन होरहा
हो सके तो मोहब्बत के भरे प्याले लाओ!!
अच्छी बात करना सबसे अच्छा है
अच्छा दिन है अच्छी रात है
बहुत अच्छा है
अच्छी खबरें है अच्छी बात हैं
जो है सो है बहुत अच्छा है
और फिर से नया कहने के लिये
उठ लिया जाये अच्छा है
रहने दें नींद ही में रह लिया जाये
और अच्छा है ।
...
बस शायद कल फिर
सादर
...
बस शायद कल फिर
सादर
है तो ठीक
ReplyDeleteनहीं है तो भी ठीक..
बेहतरीन..
सादर..
सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को ''सांध्य दैनिक मुखरित मौन में'' शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।
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