Tuesday, February 25, 2020

277..बेपरवाही ने अपना चोला ओढ़ लिया

स्नेहिल अभिवादन
इतिहास में घटित-घटनाएं, 
जन्म लिए व्यक्ति, विदा लिए महान व्यक्ति, 
पर्व और उत्सव से जुड़ी बहुत सी ऐसी बातें 
जो हमें कुछ सीख दे जाती है. और कहती है कि 
हमें भी अपने जीवन को जीनें का ढंग सीखना चाहिए. 
साथ ही कैसे संघर्ष, और उत्साह के साथ आगे बढ़ना है.
इस तरह की तमाम बाते सामने आती है
इस वर्ष आज का दिन याद किया जाएगा वो इसलिए
कल से दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति
माननीय डोनाल्ड ट्रम्प आज भी भारत में हैं
....
अब चलिए चलें आज के दौरे पर..

मैं, 
मैं तो उस पार ..
छप छप करते 
पैर थम गए।  
उपेक्षा लौट आई, 
बेपरवाही ने 
अपना चोला ओढ़ लिया। 
झील में..  
खूबसूरत फूल 
खिल रहे थे।


शब्दों की चादर ओढ़े, 
घर से निकला... 
घूम रहा था 
अब लौटना चाहता है 
शब्द काफी नहीं
उसके लिए 
जो बयान करना चाहे 
मन अब 
मौन कहा चाहता है 
शब्द नहीं


रसभरे करे आज बहाने
मिसरी घोल,
फाँसों से चुभते हैं दिल में
कड़वे बोल।
छलता है मानव ही सबको
करके झोल,
छुपी हुई सच्चाई जैसे
कछुआ खोल।


कलुषित सौंदर्य,नहीं विचार सापेक्ष,
जटिलताओं में झूलता भावबोध हूँ मैं,
उत्थान की अभिलाषा अवनति की ग्लानि,
कल का अदृश्य वज्र मैं, मैं ज्वलित हूँ, 
एक पल ठहर प्रस्थान जलता वर्तमान हूँ मैं।


जो अनजाने कुहरों के पार डूब जाती है,
एक दिया उस चौराहे पर
जो मन की सारी राहें
विवश छीन लेता है,
एक दिया इस चौखट,
एक दिया उस ताखे,
एक दिया उस बरगद के तले जलाना,
जाना, फिर जाना,
...
अब बस
कल फिर
सादर




6 comments:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार यशोदा जी।

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  2. बेहतरीन प्रस्तुति दी ,सादर नमन

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार लिंक।

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  4. बहुत सुंदर लिंक्स

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  5. सादर आभार आदरणीया दीदी मेरी रचना को मंच पर स्थान देने हेतु.
    सादर

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  6. शुभकामनायें, देर से आने के लिए खेद है, सुंदर प्रस्तुति, आभार !

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